नई दिल्ली | कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार किसानों की आशंकाओं को दूर करने के लिए जारी की गई 106 पन्नों की पुस्तिका के व्यापक प्रचार-प्रसार में जुट गई है। हालांकि आंदोलनकारी किसानों ने इस पुस्तिका को नकार दिया है और कई जगह उसे जलाया भी है। इस पुस्तिका में सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों का व्यापक ब्योरा दिया है।
इस पुस्तिका के जरिए केंद्र नए कृषि कानूनों के बारे में जानकारी का प्रसार और समय-समय पर कृषि से जुड़े लोगों के साथ परामर्श का एक विस्तृत विवरण दिया है। पुस्तिका में किसानों के कल्याण के लिए पिछले छह वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को भी शामिल किया गया है। केंद्र सरकार की तरफ से इसमें यह भी कहा गया है कि एमएसपी प्रणाली जारी रहेगी और कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) की मंडियां भी काम करती रहेंगी। इसके साथ ही किसान अपनी उपज एपीएमसी मंडियों में या अपनी पसंद के अनुसार बाहर बेच सकते हैं और इसे उगाने से पहले ही उपज के दाम तय कर सकते हैं।
किसानों से खरीदने की प्रतिस्पर्धा होगी, जिसका मतलब है कि किसानों के पास अपनी कीमत तय करने के लिए अधिक से अधिक सौदेबाजी करने की शक्ति है। सरकार द्वारा लागू किए गए तीन सुधारों ने किसानों को मंडियों के बाहर भी अपनी उपज बेचने का अधिकार दिया है। यानी बेहतर दाम मिलने पर किसान अपनी उपज बेच सकता है।
बुवाई से पहले फसल की कीमत तय कर सकता है किसान
दूसरी बात यह है कि अगर किसान चाहे तो अपनी फसल की कीमत बुवाई के समय ही तय कर सकता है। कृषि कानूनों के लाभ के बारे में बताते हुए केंद्र का कहना है कि ये सुधार किसानों को सुरक्षात्मक कानूनी ढांचे के साथ मजबूत करेंगे, जब वे खरीदारों के साथ समझौता करेंगे, यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें अपनी उपज के लिए एक सुनिश्चित आय प्राप्त हो।
गुजरात में कृषि विकास की चर्चा
पुस्तिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात में कृषि और संबद्ध पारिस्थितिकी प्रणालियों में बड़े पैमाने पर विकास पर प्रकाश डाला गया है। इसमें यह भी रेखांकित किया गया है कि खेत कानून ग्रामीण युवाओं के बीच खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि सुनिश्चित करेंगे और कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देंगे।