संसद में मानसून सत्र के बीच केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच भाजपा सांसद और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्रदर्शनकारी किसानों के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया है।

उन्होंने कहा कि देश जानता है कि 26 जनवरी को क्या हुआ था। ये सारा प्रदर्शन राजनीतिक एजेंडे के तहत चल रहा है। उन्होंने कहा कि वे किसान नहीं हैं, वे गुंडे हैं और ये आपराधिक कृत्य हैं। 26 जनवरी को जो हुआ वह भी शर्मनाक आपराधिक गतिविधियां थीं और विपक्ष ने इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा दिया है।

मीनाक्षी लेखी की टिप्पणी के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के लिए इस तरह की टिप्पणी करना गलत है। गुंडे वे हैं जिनके पास कुछ नहीं है। हम किसान हैं, गुंडे नहीं। हम अन्नदाता हैं।

वहीं, किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि ऐसी टिप्पणी भारत के 80 करोड़ किसानों का अपमान है। अगर हम गुंडे हैं तो मीनाक्षी लेखी को हमारे द्वारा उगाए गए अनाज को खाना बंद कर देना चाहिए। उसे खुद पर शर्म आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने उनके बयान की निंदा करते हुए ‘किसान संसद’ में एक प्रस्ताव पारित किया है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने जंतर मंतर पर कहा कि आज आठ महीने बाद सरकार ने हमें किसान माना है। किसान खेती करना भी जानता है और संसद चलाना भी जानता है। संसद में किसानों की आवाज दबाई जा रही है। जो सांसद किसानों की आवाज नहीं उठाएगा हम उसका विरोध करेंगे।

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