इस्लामाबाद। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच रमज़ान में क्या किया जाए, इसी पर विचार विमर्ष करने के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अलवी ने देश भर के धार्मिक गुरुओं से वीडियो लिंक के ज़रिए बैठक के बाद 20 सूत्री दिशानिर्देश जारी किए गए।

पाकिस्तान के सभी अख़बारों में इसका ज़िक्र है। दिशानिर्देश के तहत रमज़ान के तहत मुसलमानों को मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त तो दे दी गई है लेकिन ये भी कहा गया है कि लोगों को मास्क पहनना ज़रूरी है और उन्हें मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख़याल रखना होगा।

मस्जिद में कोई कालीन या दरी नहीं बिछाई जाएगी। मस्जिद में इफ़्तार पार्टी नहीं होगी। ये भी कहा गया है कि 50 साल से अधिक उम्र के लोग और नाबालिग़ बच्चे या फिर जिन्हें सर्दी, खांसी या ज़ुकाम के लक्षण हैं वो मस्जिद में नहीं जाएं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि लोग क्या इन दिशानिर्देशों का पालन करेंगे क्योंकि शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के दौरान भी कई जगहों से सरकारी आदेशों के उल्लंघन की ख़बरें आईं.।

क्या मास्क और सोशल डिस्टेन्सिग मानेंगे पाकिस्तानी ?

अख़बार जंग के अनुसार इस्लामाद के मशहूर लाल मस्जिद में जुमे की नमाज़ पढ़ी गई जिसमें भारी संख्या में लोग जमा हुए और कोरोना से जुड़े तमाम एडवाइज़री और सरकारी आदेशों का जमकर उल्लंघन हुआ।

इस बीच सऊदी अरब के एक धार्मिक गुरु मुफ़्ती-ए-आज़म अल-शेख़ अब्दुल अज़ीज़ ने कहा है कि अगर कोरोना का क़हर बरक़रार रहता है तो रमज़ान के दौरान मुसलमान तरावीह और ईद की नमाज़ मस्जिदों के बजाए अपने-अपने घरों में पढ़ सकते हैं।

अख़बार दुनिया के अनुसार सऊदी अरब ने कोरोना वायरस के कारण मस्जिद में नमाज़ पर पाबंदी लगा दी है।

अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार सऊदी अरब ने मक्का की पवित्र मस्जिद हरम शरीफ़ और मदीना की मस्जिद-ए-नबवी में रमज़ान के दौरान होने वाले सामूहिक इफ़्तार पर पाबंदी लगा दी है।

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