भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद एवं अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना,नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के 75 वर्ष अमृत महोत्सव व्याख्यानमाला के क्रम में भारतीय इतिहास संकलन समिति,काशी द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय भवन,काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडेय जी ने कहा कि अब समय आ गया है जब हम भारतीयों को स्वराज स्वबोध और प्रतिरोध का इतिहास भारतीय स्रोतों के आधार पर लिखकर भारतीय जनमानस के सामने लाना चाहिए ,जिन्हें वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास के पन्नों में स्थान ही नहीं दिया, अपितु उन्हें जनसामान्य के मानस से भी मिटा देने का कार्य किया ।
आज हमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अपने राष्ट्र गौरव नायक एवं नायिकाओं को इस अमृत महोत्सव के परिप्रेक्ष्य में अमरत्व देने का काम करना है,जिन्हें पढ़कर हम और हमारी भावी पीढ़ी गौरवान्वित महसूस कर सके। मुख्य अतिथि डॉक्टर ओम जी उपाध्याय, निदेशक ,भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ,नई दिल्ली ने काशी की गौरव मणिकर्णिकाबाई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए स्थानीय इतिहास लेखन पर जोर दिया।
कार्यक्रम में विषय अवतरण प्रांत की अध्यक्ष प्रोफेसर सुमन जैन ,आशीर्वचन राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ देवी प्रसाद सिंह ,बीज वक्तव्य में डॉक्टर जय लक्ष्मी कौल ने कहा कि लक्ष्मीबाई अंग्रेजों की एजेंट नहीं थी ,स्वयं अंग्रेज प्रशासकों ने इसका विवरण अपने आख्यानो मे दिया है। कार्यक्रम का संचालन प्रान्त संगठन मंत्री डॉ विनोद कुमार जायसवाल एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रांत महासचिव डॉक्टर श्रीपाल सिंह सोम ने किया ।इस अवसर पर राष्ट्रवादी वरिष्ठ इतिहासकार, प्रोफेसर सीताराम दुबे ,प्रोफेसर आरएन सिंह ,प्रोफेसर अनिल कुमार दुबे ,डॉ अशोक कुमार सिंह, पूर्व कुलपति मणिपुर विश्वविद्यालय व अर्थशास्त्री प्रोफेसर आद्या प्रसाद पांडेय ,डॉक्टर हेमलता सिंह, डॉक्टर विकास सिंह ,डॉ अनीता सिंह ,डॉ अमित उपाध्याय, डॉ अनुराधा सिंह, डॉ प्रियंका सिंह,डॉ उत्तम कुमार द्विवेदी(प्रचार प्रमुख ,काशी प्रान्त) तथा अनेकान्य महाविद्यलायो से आये इतिहासविद,युवा इतिहासकार व शोधार्थी प्रत्यक्ष व आभासी(आनलाईन) माध्यम से उपस्थित थे।