बिहार में मक्क बीज बेचने वाले सभी डीलरों की जांच होगी। इसके लिए विभाग ने मुख्यालय के अधिकारियों की आठ टीमें बनाई हैं। हर टीम को अलग-अलग जिलों की जांच का जिम्मा दिया गया है। डीलर की जांच तो होगी ही टीम में शामिल अधिकारी अपने जिले के किसानों से भी बात करेंगे। किसान कौन से प्रभेद की खेती करते हैं और इसके लिए बीज कहां से लाते हैं। 

किसानों से मिली जानकारी को डीलर के लाइसेंस से मिलान किया जाएगा। अगर डीलर ने बिना लाइसेंस वाले प्रभेद की बिक्री की है तो कार्रवाई होगी। उनका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है। कृषि विभाग ने खाद डीलरों के बाद अब बीज विक्रेताओं की नकेल कसने की तैयारी कर रहा है। विभाग ने पहले हर लाइसेंस पर बीज के प्रभेद अंकित करने का आदेश दिया। उसके बाद अब लाइसेंस के अनुसार ब्रिकी हो रही है या नहीं इसकी जांच के लिए अधिकारियों की टीम गठित कर दी है। टीम को लगभग डेढ़ दर्जन ऐसे जिलों में जांच का जिम्मा दिया गया है जहां मक्के की खेती अधिक होती है। 

राज्य में सबसे अधिक मक्का बीज की खरीद होती है। मक्का में संकर प्रजाति की सबसे अधिक खेती होती है। साथ ही इसका बीज प्रतिस्थापन दर भी 90 प्रतिशत के असापास है। लिहाजा किसान हर साल नया बीज लेकर खेती करते हैं। यही कारण है कि सरकार ने मक्का बीज विक्रेताओं की जांच का ही फैसला किया है। 

विभाग ने अपर निदेशक धनन्जयपति त्रिपाठी के नेतृत्व में बनी टीम को बेगूसरा और खगड़िया जिले की जिम्मेवारी दी है। इसी तरह संयुक्त निदेशक एएन राय की टीम को पूर्वी और पश्चिमी चम्पारण, संयुक्त निदेशक व्यंकटेश नारायण सिंह की टीम को पूर्णिया व कटिहार, सुरेश प्रसाद गुप्ता की टीम को अररिया और किशनगंज, अरविंद शर्मा की टीम को सारण, सीवान और गोपालगंज, उमेश कुमार चौधरी को भागलपुर, डॉ. ब्रजेश कुमार को समस्तीपुर व मुजफ्फरपुर और जय प्रकाश नारायण को सहरसा सुपौल व मधेपुरा में जांच का जिम्मा दिया गया है। सभी वरीय अधिकारियों की टीम में उप निदेशक स्तर के दो अधिकारियों को भी रखा गया है। साथ ही सभी संबंधित जिलों के अधिकारियों को जांच में सहयोग करने का निर्देश विभाग ने दिया है। 

मक्का की खेती व बीज की जरूरत
7.1 लाख हेक्टेयर में होती खेती 
31.9 लाख टन होता है उत्पादन
01 लाख टन बीज बिकता है बाजार में
88 प्रतिशत है बीज प्रतिस्थापन दर

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