बेतरतीब गर्मी की आशंकाओं के बीच मिट्टी के आधुनिक बर्तन से मिलेगा तन मन को सुकून

भयंकर गर्मी की आहट और अकुलाहट का इन दिनों जो दौर चल रहा है उससे यह तय है कि आने वाले पखवारे भर में दोपहरिया की गर्मी शरीर को थकाने के साथ ही शरीर से पसीने के माध्‍यम से पानी निकालने लगेगा। गर्मी का असर होने के साथ ही प्‍यास भी बढ़ जाती है और लोगों की सेहत पर चिल्‍ड यानि बर्फीला ठंडा पानी भी भारी पड़ जाता है। इसके लिए चिकित्‍सक भी फ्र‍िज के ठंडे पानी से परहेज की बात कहते हैं, इसके बदले मिट्टी के घड़े या पात्र में रखा पानी कहीं अधिक सुरक्षित माना जाता है। मटके में प्राकृतिक तौर पर पानी ठंंडा होता है। लिहाजा यह पानी सेहत के लिए कहीं अधिक सुरक्षित और सेहतमंद माना गया है।

आयुर्वेद भी देता है सलाह

मिट्टी के बर्तनों की परंपरा हड़प्‍पा और मोहनजोदड़ों जैसी सभ्‍यताओं के अलावा आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तनों में पानी रखने और उनमें भोजन पकाने तक के फायदे माने गए हैं। ऐसे में मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग भी लोग करके सेहत के लिए लाभ के साथ ही बीमारियों से लड़ने में मददगार साबित हो सकता है। बाजार में इन दिनों मिट्टी के आधुनिक बर्तनों का क्रेज ऐसा है कि लोग हाथ में स्‍टील के बोतलों की जगह अब इन मिट्टी की बोतलों को हाथ में लिए नजर आएं तो कोई अचरज नहीं।

प्लास्टिक रूपी ज़हर से मिलेगी निजात

पानी की प्‍लास्टिक की बोतलों में बंद पानी लोगों को भले ही तरावट दे मगर प्‍लास्टिक का बढ़ता कचरा पर्यावरण संबंधी दुश्‍वारी भी दे रहा है। कार्यालयों में भी प्‍लाटिक के डिब्‍बों और कैन में पानी भरकर रखा जाता है। प्‍लास्टिक में रखे पानी को सेहत के लिहाज से काफी खराब भी माना जाता है जबकि शोध बताते हैं कि प्‍लास्टिक में रखे पदार्थों का सेवन करने से घातक बीमारियों को भी न्‍यौता मिलता है। ऐसे में मिट्टी के बर्तनों में पानी और भोजन रखने से सेहत पर भी सार्थक प्रभाव वैज्ञानिक मानते हैं।

ज्यादातर बर्तन गुजरात से आते हैं

मिट्टी के ऐसे आधुनिक पात्रों का कारोबार करने वाले वाराणसी के कारोबारी शरद श्रीवास्‍तव बताते हैं कि अधिकतर ऐसे पात्र गुजरात से आते हैं, उत्तर प्रदेश के भी कुछ कारीगर या कुंभकार इसे बनाते हैं। हालांकि, वर्तमान समय से कदमताल करने वाले मिट्टी के इन बोतलों, कैन और पानी के डिब्‍बों की डिमांड सीमित है। मगर मिट्टी के बर्तनों के फायदे को देखते हुए लोगों की रुचि भी अब इनमें बढ़ने लगी है। खासकर कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच कोई भी नहीं चाहता कि अधिक गर्म और अधिक ठंंडा पानी पीकर अपनी सेहत खराब कर ले ऐसे में यह मिट्टी के आधुनिक पात्र लोगों की पसंद बनकर उभर रहे हैं।

शरीर के अनुकूल होती है ये ठंडक

जिसमें पानी उतना ही ठंडा होता है जितना कि हमारा शरीर उसे बर्दाश्‍त कर सके। साथ ही मिट्टी की सौंधी खुश्‍बू वाला पानी पीकर कोई भी व्‍यक्ति अनोखापन अनुभव जरूर करेगा। शरद ने जागरण को बताया कि मिट्टी की फ्र‍िज से लेकर तवा और हांडी तक उपलब्‍ध है, हालांकि आधुनिकता में पले बढ़े लोगों के लिए इसके फायदे की समझ न होने की वजह से बाजार में पहुंच भी सीमित है। शरद श्रीवास्‍तव बताते हैं कि मिट्टी के पानी के बोतलों की क्षमता करीब एक लीटर, सवा लीटर और डेढ़ लीटर तक की है। जबकि केन पांच से दस लीटर तक के उपलब्‍ध हैं। बाजार में इनकी कीमत सौ दो सौ रुपये से लेकर पांच सौ रुपये तक है।

आयुर्वेदिक चिकित्‍सक क्या कहते हैं?

वाराणसी के चौकाघाट स्थित राजकीय आयुर्वेद चिकित्‍सालय के आयुर्वेदाचार्य डॉ अजय गुप्ता ने बताया कि मिट्टी के बर्तन या मटके में नैसर्गिक तरीसे पानी ठंडा होता है। गर्मी में शरीर से पानी की अधिक हानि होती है। ऐसे में पानी की कमी पूरी करने के लिए ठंडा पानी पीने पर लोग इच्‍छा भर पानी पी लेते हैं, गर्म या गुनगुने पानी के साथ ऐसा नहीं है। जबकि अधिक चिल्‍ड या बर्फीला फ्रिज का पानी पीने की वजह से सर्दी जुकाम भी हो जाता है, कभी कभार पाचन संबंधी समस्‍या भी सामने आ जाती है। दरअसल इंसान वार्म ब्‍लडेड यानि गर्म खून वाला होता है तो शरीर का तापक्रम बिगड़ने पर शारीरिक समस्‍याएं भी सामने आने लगती हैं। लिहाजा मिट्टी के बर्तनोंं का पानी शरीर के लिए कहीं अधिक मुफीद होता है। साथ ही मिट्टी में कई प्रकार के खनिज भी होते हैं जो पानी के साथ शरीर में जाकर उसे कई प्रकार से मदद भी करते हैं।

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