किसी काम को करने की नियत सही हो लेकिन तरीका गलत हो तो उसे गलत ही कहा जाएगा। कोरोना के बढ़ते कहर के बीच उसे मात देने का एक मात्र तरीका यही है कि हम वायरस की चेन को तोड़ दें। ऐसा तभी संभव है जब लोग कोरोना सुरक्षा नियमों का सही से पालन करें। इस बात का ध्यान रखना कि लोग नियमों का सही से पालन कर रहे हैं या नहीं ये प्रशासन का काम है लेकिन प्रशासन लोगों को समझाने के लिए उन पर हाथ उठाने लगे तो भला ये कहां तक सही माना जाएगा।

शादी रोकने पहुंचे डीएम

पश्चिमी त्रिपुरा के डीएम शैलेश कुमार यादव ने सही काम को गलत तरीके से अंजाम दिया तथा इसके बाद से वह लगातार शासन, प्रशासन तथा जनता की आलोचना झेल रहे हैं। जो कदम उन्होंने उठाया उसकी तारीफ हो सकती थी लेकिन उन्होंने जिस तरीके से इस काम को अंजाम दिया वह तरीका बहुत से लोगों को रास नहीं आया। दरअसल डीएम की आलोचना तब से शुरू हुई जबसे उनका एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो के मुताबिक वह एक शादी समारोह को रोकने गए गए थे। वैसे तो शादी समारोह से किसी डीएम को क्या दिक्कत हो सकती है लेकिन यहां दिक्कत की वजह यह थी कि घड़ी में समय 10 के पार जा चुका था और नाइट कर्फ्यू होने के बावजूद भी शादी चल रही थी। यह एक तरह से कोविड सुरक्षा गाइडलाइन्स का उल्लंघन है। इसके साथ ही डीएम के मुताबिक शादी में 25 से ज़्यादा लोग थे जो नियमों के खिलाफ है और इनमें से बहुत लोगों ने मास्क भी नहीं पहन रखा था।

ये तो हुई शादी की बात अब बात करते हैं कि डीएम कहां गलत हो गए। डीएम तब गलत साबित होने लगे जब वह शादी रुकवाने के लिए अपने बल का प्रयोग करने लगे। शादी में आए रिश्तेदार, पंडित, बच्चे बूढ़े और यहां तक कि महिलाएं, डीएम शैलेश ने किसी को भी नहीं बख्शा और सभी पर हाथ उठाते चले गए। वीडियो में दिख रहा है कि उन्होंने दूल्हे को धक्का मारा, कई लोगों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया, शादी समारोह से 31 लोगों को गिरफ्तार किया, कितनों पर हाथ उठाया। डीएम शैलेश द्वारा की गई इस गलत कार्रवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया तथा इसके बाद लोगों ने उनके इस रवैये के कारण उन्हें आढ़े हाथों लेते हुए उनकी आलोचना शुरू कर दी।

फाड़ दिए कागज

जिस समय डीएम शादी समारोह को रुकवाने पहुंचे उस समय पीड़ित पक्ष ने उन्हें कागज दिखाते हुए यह बात समझाने की कोशिश की कि उन्होंने समारोह से जुड़ी हर बात के लिए परमिशन ली है लेकिन डीएम साहब ने यह कहते हुए कागज फाड़ दिए कि परमिशन शादी करने की थी, हॉल में रात 10 बजे के बाद शादी करने की नहीं। इसके अलावा पीड़ित पक्ष का कहना है कि उनकी शादी में 25 से 30 लोग ही थे।

आपको बात दें कि डीएम शैलेश कुमार यादव 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। पिछले साल पश्चिम त्रिपुरा जिले के डीएम नियुक्त होने से पहले वह अगरतला नगर निगम के आयुक्त थे। डीएम होने के अलावा उनके पास अगरतला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ पद का अतिरिक्त कार्यभार भी है।

हो गए सस्पेंड

वीडियो वायरल होने के साथ ही घटना ने तूल पकड़ ली जिसके बाद डीएम शैलेश ने माफी भी मांगी। उन्होंने कहा कि यह सब उन्होंने किसी की भावना को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं किया। यह सिर्फ यहां के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए यह सब किया गया था। हम कड़ाई के साथ नियम लागू करना चाहते थे। इसके लिए मैं माफी चाहता हूं।

डीएम शैलेश ने माफ़ी तो मांग ली लेकिन शायद अब बहुत देर हो चुकी है। इस घटना पर अब राजनेताओं की नजर पड़ चुकी है। कई विधायकों ने डीएम शैलेश यादव के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। इसके साथ ही डीएम शैलेश को सस्पेंड कर दिया गया है। मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने इस मामले की जांच के लिए दो सांसदों की एक कमेटी बनाई है।

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