मध्य प्रदेश के उपचुनाव में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन रहा और एकतरफा जीत हासिल करने के बाद अब ये तय हो गया है कि बचे हुए तीन साल का कार्यकाल शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ही पूरा करेगी। लेकिन अब चुनाव खत्म होते ही मध्य प्रदेश सरकार में मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है यैसे में सबकी नजरें इसी बात ही टिकी हुई हैं कि , संधिया और सिंधिया समर्थकों का क्या होगा ? क्या मंत्रीमंडल विस्तार में सिंधिया समर्थक विधायकों को मौका मिलेगा या फिर पहले से बीजेपी में मौजूद नेताओं को ही मंत्रिमंडल के विस्तार में तरजीह दी जाएगी ।
गौरतलब है कि बीजेपी 28 में से 19 सीटें इस उपचुनाव में जीत चुकी है और उसके साथ ही बीजेपी विधायकों की संख्या बहुमत के आंकड़े से 11 ज्यादा हो गयी हैं |
इस उपचुनाव में 14 मंत्री चुनावी मैदान में थे
खास बात ये है कि हाल में हुए उपचुनाव में शिवराज सरकार के 14 मंत्री चुनावी मैदान में थे और उनके राजनीतिक भविष्य दांव पर लगे हुए थे. लेकिन इन मंत्रियों से तीन को छोड़ बाकि सभी मंत्रीयों ने जीत दर्ज की है | चुनाव हारे हुए ये तीन मंत्री हैं-
इमरती देवी
एदल सिंह कंसाना
गिर्राज दंडोतिया
इनमें से इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया सिंधिया समर्थक थे, जो चुनाव हार गए हैं | एदल सिंह कंसाना भी कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी में आए थे, उनको भी मंत्री बनाया गया था | इसके अलावा उपचुनाव के पहले ही शिवराज कैबिनेट के दो मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत इस्तीफा दे चुके हैं|
क्या है शिवराज कैबिनेट का गणित
उपचुनाव से पहले शिवराज सरकार में कुल 33 मंत्री थे, जिसमें 25 कैबिनेट मंत्री और 8 राज्यमंत्री शामिल थे | नियम के मुताबिक मध्य प्रदेश कैबिनेट में ज्यादा से ज्यादा 34 मंत्री शामिल हो सकते हैं | लेकिन अब उपचुनाव के बाद की परिस्थितियों में शिवराज सरकार में सिर्फ 28 मंत्री बचे हैं | तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह दो मंत्री पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं | इसके अलावा उपचुनाव में तीन मंत्री चुनाव हार गए हैं |
गणित के मुताबिक अभी उपचुनाव के बाद में 6 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है | लेकिन वो विधायक कौन होंगे? शिवराज के समर्थक या सिंधिया समर्थको को भी तरजीह मिलेगी इन सारे सवालों पर फ़िलहाल सस्पेंस बना हुआ है |
वैसे मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए जीते हुए विधायकों ने दिग्गजों के घर चक्कर लगाना शुरू कर दिया है | उपचुनाव से पहले इस्तीफा देने वाले दो मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह उपचुनाव की अग्निपरीक्षा से भी गुजर चुके हैं और उनका मंत्री बनना तय है | दोनों नेताओं को भारी पोर्टफोलियो भी मिलने की उम्मीद है | इसके बाद 4 सीटों के लिए सारी जद्दोजहद बाकी है |
अभी कैबिनेट विस्तार की कोई योजना नहीं – शिवराज सिंह चौहान
अगर बयानों पर गौर करें तो शिवराज सिंह चौहान 12 नवंबर को बयान दे चुके हैं कि वो अभी मंत्रीमंत्रल विस्तार नहीं करने वाले हैं | जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि मंत्रीमंडल का विस्तार कब होगा और किन-किन लोगों को जगह मिलेगी? शिवराज सिंह ने जवाब दिया कि अभी इसकी कोई योजना नहीं है और इसे लेकर जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है | मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी उनके इस बयान का स्वागत किया है और कहा है कि अभी नए मंत्री की जरूरत नहीं है इससे राज्य के वित्त पर बेवजह का बोझ पड़ेगा |
3 मंत्रियों की हार से कैबिनेट में थोड़ी राहत
मार्च में जब कमलनाथ की कांग्रेस सरकार गिरकर शिवराज सरकार बनी थी तो 33 मंत्रियों में से 11 सिंधिया समर्थित मंत्रियों को मंत्रीपद दिया गया था | इसके अलावा भी तीन ऐसे नेता जो कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी में आए थे उन्हें मंत्री बनाया गया था | इन तीन मंत्रियों का चुनाव हार जाना एक तरह से शिवराज के लिए राहत भी है क्यों कि अब उन्हें मंत्रीमंडल में जगह नहीं देनी पड़ेगी | लेकिन आगे जब भी मंत्री मंडल विस्तार होगा तो पहले की तरह क्या फिर से ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने ज्यादा मंत्रियों को शामिल करा पाएंगे इसी पर सबकी नजरें टिकी हैं |
राज्य सरकार का हिस्सा नहीं होंगे सिंधिया
इसके अलावा खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया के आगे के कामकाम को लेकर भी चर्चा है कि वो आगे क्या करेंगे | सिंधिया बीजेपी से राज्यसभा सांसद है और यैसे में उम्मीद यही की जा रही है की अगर मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो ज्योतितयाराजे सिंधिया को उसमे जगह मिल सकती है