कोरोनावायरस का डेल्टा प्लस वेरिएंट वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए चिंता का विषय नहीं है। मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने गुरुवार को एक निजी चैनल से यह बात कही। उन्होंने कहा कि वायरस के इस प्रकार से संक्रमित लोगों की संख्या फिलहाल काफी कम है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविशील्ड को अपने वैक्सीन पासपोर्ट कार्यक्रम से रोकने वाले कुछ देशों के पास कोई तर्क नहीं था, जो महामारी के दौरान परेशानी मुक्त यात्रा की अनुमति देगा।

डॉक्टर स्वामीनाथन ने कहा कि यह ज्यादातर तकनीकी पर किया गया था क्योंकि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन यूरोप में एक अलग ब्रांड के तहत उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ वैक्सीन पासपोर्ट में कोविशील्ड को शामिल करने के लिए यूरोपीय चिकित्सा नियामक के साथ बातचीत कर रहा है। संगठन द्वारा कोवैक्सीन को मंजूरी के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि अगस्त के दूसरे सप्ताह तक इसपर निर्णय होने की संभावना है।

भारत कई शहरों में डेल्टा प्लस के मामले

भारत में कई शहरों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले मिल चुके हैं। भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट का पहला केस 11 जून को मिला था। यह डेल्टा वैरिएंट से ही तब्दील होकर बना है। देश में अब तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के 50 से ज्यादा केस मिल चुके हैं। हालांकि एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया भी इसको लेकर ज्यादा चिंता ना करने की बात कह चुके हैं। गुलेरिया का कहना है कि अब तक ऐसा कोई डेटा नहीं मिला है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के चलते ज्यादा मौतें हुई हैं या इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके अलावा कोरोना वैक्सीन को मात देने की बात भी किसी डेटा से पुष्ट नहीं होती।

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