इन्सां की ख़्वाहिशों की कोई इन्तिहा नहीं, दो गज ज़मीं भी चाहिए, दो गज कफ़न के बाद… यह लाइन उस शायर की हैं, जिसने बहुत छोटी सी उम्र में जिंदगी की एक बहुत ही बड़ी सीख अपनी शायरी के जरिए दे दी थी. वह बहुत ही आसान लफ्जों में अपने दिल की हर एक बात अपनी शायरी में कह जाते थे. आज 10 मई है और आज ही के दिन यानी 19 साल पहले हिंदुस्तान का आलातरीन ये शायर दुनिया को अलविदा कह गया था.

अक्सर लोग कैफी आजमी की पहली मोहब्बत यानी शायरी और साहित्य की बात करते हैं, लेकिन हम उनकी दूसरी मोहब्बत की चर्चा करेंगे, यानी उनकी बेगम शौकत आजमी के बारे में. बता दें कि शौकत अभिनेत्री थीं. दिग्गज शायर की पुण्यतिथि पर आज हम जानेंगे कि कैसे कैफी आजमी उर्फ अख्तर हुसैन रिजवी ने अपनी रूठी हुई बेगम को मनाया था, जो कि नाराज होकर कैफी आजमी का घर छोड़ अपने मायके चली गई थीं.

बेगम को कैफी आजमी ने खून से लिखकर भेजा था खत

कैफी आजमी और उनकी बेगम शौकत के बीच का रिश्ता भी बिल्कुल वैसा ही था, जैसा कि किसी आम परिवार में मियां-बीवी का होता है. अन्नू कपूर ने अपने एक शो में बताया था कि एक बार हुआ यूं कि किसी बात को लेकर कैफी आजमी और उनकी बेगम शौकत के बीच बहसबाजी शुरू हो गई. यह बहसबाजी झगड़े में बदली और शौकत गुस्से में कैफी आजमी का घर छोड़ अपने मायके चली गईं. कुछ दिनों तक दोनों के बीच किसी भी तरह से कोई बातचीत नहीं हुई. फिर एक दिन शौकत आजमी के घर एक खत पहुंचा. यह खत था कैफी आजमी का. शौकत ने यह खत जैसे ही खोला, वह दंग रग गईं.

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस खत में ऐसा क्या था कि शौकत दंग रह गईं. तो आपको बता दें कि यह खत कैफी आजमी ने अपने खून से लिखकर अपनी दूसरी मोहब्बत यानी बेगम साहिबा को भेजा था. इस खत के बारे में जब शौकत ने अपने अब्बा को बताया तो वह हंस पड़े. शौकत के अब्बा ने उनसे हंसते हुए कहा- बेटा, ये शायर लोग बहुत चालाक होते हैं. जैसा वे दिखाते हैं, वैसे होते नहीं हैं. मैं जानता हूं कि यह कैफी ने अपने खून से नहीं, बल्कि बकरे के खून में पेन को डूबोकर लिखा होगा.

अब्बा की इन बातों पर शौकत को यकीन नहीं हुआ. शौकत को पूरा विश्वास था कि उनके मियां कैफी आजमी ने यह खत खुद अपने खून से लिखा है.

इस खत में कैफी आजमी ने बेगम को लिखा था-

“मेरी शौकत, एक बजे तुमको खत लिखकर लिफाफा बंद किया. लेट गया यह सोचकर कि शायद सो जाऊं, मगर नींद नहीं आई. फिर तुम्हारे खत पढ़े और बेइख्तियार आंसू निकल आए. शौकत तुमको मुझपर भरोसा नहीं या मेरी मोहब्बत पर इतबार नहीं, यह मेरी बदनसीबी नहीं तो और क्या है. समझ नहीं आता कि तुम्हें अपनी मोहब्बत का यकीन कैसे दिलाऊं. फिर एक बात समझ में आई, खयाल आ गया और खून से खत लिख रहा हूं. अब तक तुम्हारी मोहब्बत में आंसू बहे थे. अब खून बह रहा है. आगे देखिए होता है क्या.”

खून से लिखे इस खत में पति कैफी आजमी के मोहब्बत भरे लफ्जों को पढ़कर शौकत एक पल भी अपने मायके न रुक सकीं और दौड़ी-दौड़ी अपनी मोहब्बत यानी कैफी आजमी के पास जा पहुंचीं. वो कहते हैं न कि पहली नजर का प्यार आखिरी दम तक साथ निभाता है. कैफी आजमी और शौकत की लव स्टोरी भी कुछ ऐसी ही थी.

वो पहली मुलाकात जब कैफी आजमी ने खाई जिंदगी भर शादी न करने की कसम

मनोज मुंतशिर ने अपने एक वीडियो में कैफी और शौकत की लव स्टोरी का किस्सा सुनाया था. उन्होंने बताया कि कैफी आजमी 18 साल के थे, जब उनकी शौकत से पहली मुलाकात हुई. यह मुलाकात हैदराबाद में आयोजित एक सेमिनार के दौरान हुई थी. एक महफिल सजी और कैफी आजमी ने अपनी सबसे बेहतरीन नज्म पढ़ी. (यह वही नज्म है जिसकी शुरुआत हमने अपनी इस स्टोरी के साथ की है.)

कैफी आजमी की इस नज्म ने 21 वर्षीय शौकत को अपना दीवाना बना दिया था. यह नज्म औरत पर लिखी गई थी. बल्कि किसी औरत की खूबसूरती या उसके रंग रूप को लेकर नहीं थी ये नज्म. जब वर्ल्ड वॉर चल रही थी, जब कैफी आजमी ने इस नज्म को लिखा था.

उस नज्म की कुछ लाइनें…

उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
क़ल्ब-ए-माहौल में लर्ज़ां शरर-ए-जंग हैं आज
हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक-रंग हैं आज
आबगीनों में तपां वलवला-ए-संग हैं आज
हुस्न और इश्क़ हम-आवाज़ ओ हम-आहंग हैं आज
जिस में जलता हूं उसी आग में जलना है तुझे
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
इन्सां की ख़्वाहिशों की कोई इन्तिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए, दो गज़ कफ़न के बाद

बता दें कि कैफी आजमी की इस नज्म को 1997 में आई फिल्म तमन्ना में इस्तेमाल किया गया था. गाने के बोल कैफी आजमी द्वारा ही लिखे गए थे. इसे गाया सोनू निगम ने था.

खैर, वापस लौटते हैं कैफी आजमी की मोहब्बत की दास्तां पर. अब महफिल जैसे ही खत्म हुई शौकत ने अपनी ऑटोग्राफ बुक निकाल ली. उस महफिल में नामी कवि सरदार जाफरी भी मौजूद थे. शौकत, सरदार साहब से ऑटोग्राफ लेने के बाद कैफी आजमी के पास पहुंची. कैफी ने बुक में उल्टा सीधा पेन चला दिया था. यह देखकर शौकत ने उनसे पूछा कि कैफी साहब ये क्या है. इस पर कैफी साहब बोले कि यह इसलिए क्योंकि तुम सबसे पहले सरदार साहब के पास ऑटोग्राफ लेने गईं.

इस तरह दोनों की नजरें एक दूसरे से मिलीं और दोनों को पहली नजर में ही एक दूसरे से प्यार हो गया. हालांकि, उस समय किसी दूसरी लड़की से कैफी आजमी की शादी तय हो चुकी थी. पर कैफी आजमी, शौकत पर अपना दिल हार बैठे थे.

उन्होंने शौकत से कहा- भले तुम मुझे भुला दोगी, लेकिन मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाऊंगा. मैं जिंदगी भर शादी नही करूंगा. बस फिर क्या था कुछ समय बाद दोनों ने शादी कर ली. दोनों के दो बच्चे भी हुए. शबाना आजमी, जो कि हिंदी सिनेमा जगत की दिग्गज अभिनेत्री हैं और बाबा आजमी, जो कि सिनेमैटोग्राफर हैं.

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