लंदन | कोविड-19 जैसा जानलवे वायरस कहां से आया है, यह अब तक का सबसे बड़ा रहस्य है। छह महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी वैज्ञानिक अभी तक इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं कि आखिर यह वायरस कब, कहां और कैसे पैदा हुआ। शुरुआती रिपोर्टों में यह दावा किया जाता है कि यह चमगादड़ से इंसानों में फैला है। इसके पीछे आरएटीजी 13 को जिम्मेदार बताया जा रहा है, जो चमगादड़ों में पाया जाता है।

ब्रिटेन के वैज्ञानिक भी कोरोना वायरस पर लगातार शोध कर रहे हैं। हाल ही में किंग्स कॉलेज लंदन की फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के नए शोध से यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस वायरस चमगादड़ से सीधे इंसान में नहीं फैला है। सार्स-कोव-2 यानी नया कोरोना वायरस आएटीजी 13 से हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली है।

इससे उन दावों की पोल खुल गई है, जिनमें चमगादड़ को कोरोना का मूल स्रोत माना जा रहा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि चमगादड़ में पाया जाने वाला आरएटीजी 13 नाम का वायरस मनुष्य को सीधे संक्रमित नहीं कर सकता। अभी तक इस वायरस को सार्स-कोव-2 के सबसे करीबी मैच के रूप में पाया गया था। भले ही दोनों की संरचना में उतना फर्क न हो, पर उनकी क्षमता एक जैसी नहीं है। अध्ययन से पता चलता है कि आरएटीजी 13 मानव फेफड़ों को उतनी आसानी से नहीं जकड़ सकता है जितना कोविड-19। इस अध्ययन के जरिए शोधकर्ताओं ने तमान बिखरी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, हमारे सबूत ये इशारा कर रहे हैं कि कोविड-19 चमगादड़ में मौजूद वायरस से हजार गुना ज्यादा संक्रमण फैलाता है और कई विषाणुओं के मिलने के बाद कोविड-19 जैसे खतरनाक वायरस का जन्म हुआ है।

आरएटीजी 13 नहीं कर सकता कोशिकाओं में प्रवेश
अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि चमगादड़ में पाया जाने वाला आरएटीजी 13 वायरस एसीई-2 के माध्यम से हमारी कोशिकाओं को संक्रमित करने में असमर्थ है। वहीं, कोविड-19 के कांटें इंसानी शरीर में पाए जाने वाले एसीई-2 प्रोचीन से आसानी से जुड़ जाते हैं। यह आसानी से इंसान की शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है।

शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस स्पाइक की सबसे विस्तृत छवि बनाने के लिे क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कॉपी नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया। पहले इस वायरस को इतने करीब से कोई तस्वीर नहीं ली गई थी। वैज्ञानिकों ने स्पाइक प्रोटीन विश्लेषण कर इस वायरस को समझने की कोशिश की है। अध्ययन में यह भी साफ हो गया है कि कोविड-19 इंसान के हाथों नहीं बनाया गया है, बल्कि यह समय के साथ-साथ खुद ही विकसित हुआ है। दरअसल, कहा जा रहा था कि चीन की एक प्रयोगशाली से यह वायरस दुनियाभर में फैला है।

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