नई दिल्ली ( एजेंसी )। समझा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने बांबे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला की स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के प्रस्ताव की मंजूरी को वापस ले लिया है। कोलेजियम ने कुछ मामलों में उनके हालिया विवादास्पद फैसलों के बाद यह कदम उठाया है। एक सूत्र ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत यौन हमले की उनकी व्याख्या पर हुई आलोचनाओं के बाद यह फैसला लिया गया है।

जस्टिस गनेडीवाला ने 12 वर्षीय एक बच्ची के अंग विशेष को छूने के आरोपित व्यक्ति को पिछले दिनों बरी कर दिया था और कहा था कि आरोपित ने त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं किया था। इससे कुछ दिन पहले उन्होंने व्यवस्था दी थी कि पांच साल की बच्ची के हाथों को पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना पॉक्सो कानून के तहत यौन अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की इस दलील के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी कि इससे खतरनाक नजीर बन जाएगी।

कोलेजियम ने स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति की मंजूरी वापस ली

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने 20 जनवरी को जस्टिस गनेडीवाला को स्थायी न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। इस महीने दो अन्य फैसलों में जस्टिस गनेडीवाला ने नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के आरोपित दो लोगों को बरी कर दिया था और कहा था कि पीड़ि‍ताओं की गवाही आरोपितों पर आपराधिक जवाबदेही तय करने का भरोसा पैदा नहीं करती। जस्टिस गनेडीवाला का जन्म महाराष्ट्र में अमरावती जिले के परतवाडा में तीन मार्च, 1969 को हुआ था।

वह अनेक बैंकों और बीमा कंपनियों के पैनल में अधिवक्ता रही थीं। उन्हें 2007 में जिला न्यायाधीश के तौर पर सीधे नियुक्त किया गया था और 13 फरवरी, 2019 को बांबे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नत किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश के साथ ही जस्टिस एनवी रमना और आरएफ नरीमन भी शामिल हैं।

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