नई दिल्ली। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए दिग्गज कांग्रेसी कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी को इस वक्त संवैधानिक तौर पर चुने हुए अध्यक्ष की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस हमेशा बीजेपी पर संविधान का पालन नहीं करने और लोकतंत्र की नींव को नष्ट करने का आरोप लगाती है, जबकि हमारे यहां ही ऐसा नहीं हो रहा। हम अपने पार्टी के संविधान का पालन करना चाहते हैं। कौन उस पर आपत्ति कर सकता है ? मैं किसी पार्टी विशेष की बात नहीं करता, लेकिन इस देश में राजनीति अब मुख्य रूप से वफादारी पर आधारित है। हमें वो चीज़ चाहिए जो ‘वफादारी प्लस’ कहलाती है। ये प्लस योग्यता और किसी चीज़ के लिए प्रतिबद्धता है।’

पार्टी को एक सक्रिय नेतृत्व की जरूरत

सिब्बल ने कहा कि चिट्ठी में एक फुलटाइम और प्रभावी नेतृत्व की मांग की गई थी। एक ऐसा नेता जो चुनाव के दौरान दिखे भी और मैदान में सक्रिय भी रहे. उन्होंने कहा कि ये सारी बातें मीटिंग में वफादारी का इम्तिहान बनकर रह गई। सिब्बल ने कहा, ‘सीडब्ल्यूसी को बताया जाना चाहिए था कि इस चिट्ठी में क्या है? ये मूलभूत बात है जो होनी चाहिए थी। अगर उसमें आप गलती करते हैं, तो निश्चित रूप से, हमसे पूछताछ की जा सकती है और हमसे पूछताछ की जानी चाहिए।’

सीडब्ल्यूसी में चिट्ठी पर कोई चर्चा नहीं की गई, धोखेबाज कहा गया

सिब्बल ने ये भी कहा कि सीडब्ल्यूसी में चिट्ठी पर कोई चर्चा नहीं की गई। उन्होंने कहा कि उल्टे बैठक में उन सबको धोखेबाज कहा गया. उन्होंने कहा, हमारी चिट्ठी बहुत ही सभ्य भाषा में लिखी गई थी, लेकिन बैठक में मौजूद किसी ने भी वहां हमें धोखेबाज़ कहने पर कुछ नहीं कहा. क्या पार्टी की ये भाषा होती है’? सिब्बल से जब ये पूछा गया कि आखिर क्यों कांग्रेस के लोग इन 23 नेताओं के समर्थन में नहीं आए तो सिब्बल ने कहा, ‘राजनीति में लोग सार्वजनिक रूप से कुछ कहते हैं और निजी तौर पर सोचते कुछ और हैं।’