पुडुचेरी में आखिरकार वहीं हुआ, जिसका अंदेशा था। कांग्रेस ने दक्षिण में अपनी आखिरी सरकार भी गंवा दी। कर्नाटक, मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्यों के बाद पुडुचेरी में भी विधायकों की बगावत के चलते पार्टी को सरकार खोनी पड़ी है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस घटनाक्रम ने पार्टी आलाकमान और वी नारायणसामी के नेतृत्व पर सवाल पर सवाल उठने लाजिमी है।
विधानसभा चुनाव में बहुत ज्यादा वक्त नहीं है। चुनाव आयोग किसी भी वक्त चुनाव तिथियों का ऐलान कर सकता है। निवर्तमान मुख्यमंत्री नारायणसामी ने भाजपा को सरकार गिराने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए चुनाव में मुद्दा बनाने का ऐलान किया है, पर पार्टी के कई नेता उनकी राय से सहमत नहीं है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पुडुचेरी में सरकार खोने के लिए भाजपा से ज्यादा खुद कांग्रेस जिम्मेदार है।
कांग्रेस ने वर्ष 2016 में विधानसभा चुनाव ए नम:शिवायम् के नेतृत्व में लड़ा था। नम:शिवायम् प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। जीत के बाद उनका मुख्यमंत्री बनना तय था, ज्यादातर विधायक भी उनके साथ थे। पर उस वक्त वी नारायणसामी को मुख्यमंत्री बनाकर भेज दिया गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते नम:शिवायम् नंबर दो की हैसीयत रखते थे। पर एक साल पहले उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया।
उपराज्यपाल से टकराव
मुख्यमंत्री के तौर पर वी नारायणसामी का लगातार उपराज्यपाल से सीधा टकराव भी कांग्रेस के खिलाफ गया। तत्कालीन उपराज्यपाल किरण बेदी से झगड़े के चलते पार्टी चुनाव में किए गए कोई भी वादा पूरा करने में नाकाम रही। इनमें सबसे बड़ा वादा मेडिकल कॉलेज में स्थानीय छात्रों का आरक्षण था। कान्ट्रैक्ट टीचरों की नियुक्ति और अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को मुफ्त चावल देने का वादा भी अधूरा रह गया।
पार्टी नेतृत्व भी पुडुचेरी की स्थिति को भांपने में विफल रहा। प्रभारी महासचिव के तौर पर वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक लंबे वक्त तक पुडुचेरी की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रभारी महासचिव अपनी भूमिका निभाने में विफल रहे थे, इसलिए उनकी जगह पिछले साल पार्टी नेता दिनेश गुंडुराव को प्रभारी बनाया गया था। मुकुल वासनिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। वर्ष 2016 के चुनाव में वन्नियार जाति ने कांग्रेस का समर्थन किया था। पुडुचेरी में करीब तीस फीसदी आबादी वेन्नियार है। नम:शिवायम् की वजह से वन्नियार जाति कांग्रेस का समर्थन किया था। ऐसे में इस बार वन्नियार जाति का वोट मिलने की उम्मीद नहीं है। भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि पुडुचेरी से ज्यादा महत्वपूर्ण तमिलनाडु है। पुडुचेरी में जिस तरह कांग्रेस और द्रमुक का गठबंधन सरकार बचाने में असफल रहा है उससे तमिलनाडु के लोगों में भी इस गठबंधन को लेकर अविश्वास पैदा होगा। दूसरी तरफ सरकार विरोधी माहौल से जूझ रही अन्नाद्रमुक को इससे राहत मिलेगी, क्योंकि भाजपा भी अब उसके गठबंधन में शामिल है।