देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से 9 मार्च की शाम करीब सवा चार से साढ़े चार बजे के बीच राजभवन में राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया। वह राजभवन के मेन गेट से नहीं बल्कि दूसरे गेट से अंदर गए। राजभवन जाकर वह राज्यपाल से मिले और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफे को लेकर काफी बातें कहीं।

रावत ने कहा, “मैं लंबे समय से राजनीति में काम कर रहा हूं। मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से प्रचारक के नाते, भारतीय जनता पार्टी से संगठन महामंत्री के नाते और पिछले करीब 4 वर्षो से पार्टी ने मुझे मुख्यमंत्री के रूप में देवभूमि उत्तराखंड में सेवा करने का मौका दिया। यह मेरा परम सौभाग्य रहा है और मैं कहूं कि यह मेरे जीवन का स्वर्णिम अवसर रहा है, मेरी पार्टी ने जो मुझे दिया।”

उन्होंने कहा, “एक छोटे से गांव में जहां आज भी साथ 8 परिवार रहते हैं, उस गांव में मैंने जन्म लिया, एक सैनिक के परिवार में जन्म लिया और पिताजी पूर्व सैनिक थे, कभी कल्पना भी नहीं की थी कि पार्टी मुझे इतना बड़ा सम्मान देगी। सोच भी नहीं सकता था लेकिन भारतीय जनता पार्टी में ही यह संभव था कि एक छोटे से गांव के, एक छोटे से अति साधारण परिवार के एक पार्टी के कार्यकर्ता को पार्टी ने इतना बड़ा सम्मान दिया और 4 साल मुझे सेवा करने का मौका दिया।”

रावत ने कहा, “पार्टी ने विचार किया और संयुक्त रूप से यह निर्णय लिया कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए। 4 वर्ष में आज 9 दिन कम रह गए हैं, तो यह इतना मौका मुझे दिया है। मैं प्रदेशवासियों का भी बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं। विशेषकर जो हमने जो रोजगार के क्षेत्र में, महिलाओं के उत्थान और उनके सशक्तिकरण, बच्चों की शिक्षा, किसानों के लिए, तमाम जो हमने नए-नए कार्यक्रम दिए, अगर पार्टी मौका नहीं देती तो इन योजनाओं को मैं नहीं ला सकता था।”

उन्होंने कहा, “जिन्हें भी कल दायित्व (मुख्यमंत्री पद) मिलेगा, वह इसका निर्वहन करेंगे। इसके लिए मेरी शुभकामनाएं। मैं राज्यपाल को त्यागपत्र सौंपकर आया हूं।” उन्होंने कहा, “कल 10 बजे पार्टी मुख्यालय में विधानमंडल की बैठक होगी और सभी विधायक वहां उपस्थित रहेंगे।

उत्तराखंड के नौवें मुख्यमंत्री थे

आपको बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के नौवें मुख्यमंत्री थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली भारी सफलता के बाद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य की कमान रावत को सौंपने का फैसला किया था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 75 में से 57 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। रावत राज्य में भाजपा के पांचवें मुख्यमंत्री थे।

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