नई दिल्ली (एजेंसी) चीन की हेकड़ी दूर करने और भारत का पूरी ताकत से साथ देने की तैयारी दुनिया के कई देश कर रहे हैं। अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित अपने दिएगोगार्शिया सैन्य अड्डे पर स्टील्थ बी-2 बमवर्षकों की तैनाती कर दी है। परमाणु हथियारों से लैस यह विमान दुनिया का अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है। इसकी स्टील्थ कैपेबिलिटी इसे किसी भी रडार की पकड़ से बचाती है। विशेषज्ञों के अनुसार पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ा रहे चीन के लिए भारतीय जमीन से पीछे हटने का अमेरिका की ओर से यह साफ इशारा है।
अमेरिका और जापान के साथ किया था युद्धाभ्यास
चीन के साथ तनाव को देखते हुए हिंद महासागर में भारतीय नौसेना ने सामरिक दृष्टि से अहम स्थानों पर अपने पोत तैनात किए हैं। इसके साथ ही भारतीय नौसेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास पिछले महीने अमेरिकी और जापान की नौसेना के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया था। इसमें अमेरिका नौसेना का यूएसएस निमित्ज कैरियर स्ट्राइक समूह भी था, जो परमाणु हथियारों से लैस है। इस सैन्य अभ्यास में भारतीय नौसैनिक जहाज आइएनएस राणा और आइएनएस कुलिश शामिल हुए थे।
वहीं, जापान के दो युद्धपोत जेएस काशिमा और जेएस शिमायुकी शामिल हुए थे। इस अभ्यास का मकसद मित्र देशों के साथ नौसैनिक तालमेल और सहयोग बढ़ाना था। भारतीय नौसेना ने इसके अलावा पिछले दिनों भारतीय नौसेना ने ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस की नौसेना से भी सहयोग बढ़ाया है। यह सैन्य अभ्यास चीन के पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश और मुठभेड़, दक्षिण चीन सागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दखलंदाजी के बीच बेहद अहम मानी जा रही है।
भारत के चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा था कि अगर एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) को लेकर चीन के साथ बातचीत असफल रहती है तो सैन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच मई महीने से ही फिंगर एरिया, गलवन घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और कुंगरंग नाला सहित कई क्षेत्रों को लेकर गतिरोध है। सीडीएस रावत ने कहा कि लद्दाख में चीनी सेना द्वारा किए गए अतिक्रमण से निपटने के लिए सैन्य विकल्प खुले हुए हैं, लेकिन इसका उपयोग केवल तभी किया जाएगा, जब दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर चल रही बातचीत फेल हो जाती है।
नहीं निकला कोई रास्ता
विवाद सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले तीन महीनों में कई बाद कूटनीतिक और सैन्य वार्ताएं हो चुकी हैं, जिसमें पांच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता भी शामिल हैं, लेकिन अभी तक विवाद सुलझाने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है।