नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में पूजा करने गई 50 वर्षीय महिला की गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी ने गुरुवार को पीड़ित परिवार के घर का दौरा किया। उन्होंने परिवार से दुख-दर्द साझा किया और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकर पूरी जानकारी ली। हालांकि, इस दौरान चंद्रमुखी देवी ने विवादित बयान दे दिया। उन्होंने गैंगरेप पीड़िता के शाम के वक्त बाहर जाने पर सवाल खड़े कर दिए। उनका बयान मीडिया में सामने आने के बाद हड़कंप मच गया।
परिवार से मुलाकात करने के बाद महिला आयोग की सदस्य देवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ”अगर शाम के समय महिला नहीं गई होती या परिवार का सदस्य कोई साथ में होता तो ऐसी घटना नहीं होती। उसे फोन करके बुलाया गया और फिर वह ऐसी स्थिति में वापस आई।” उन्होंने कहा कि आज के दिन में जितनी जानकारी मिली है, उसे निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहती हूं, क्योंकि यह मेरा काम नहीं है। उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। मैंने पुलिस अधिकारी से भी एक्शन लेने को कहा है। चंद्रमुखी देवी ने घटना स्थल का भी दौरा किया। उन्होंने कहा कि पूरे मामले में पुलिस की लापरवाही हुई है, जिसकी वजह से महिला के साथ दरिंदगी हुई। अगर पुलिस चाहती तो घटना व महिला की जान बच सकती थी।
‘पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं’
महिला आयोग की सदस्य ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह उससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने गैंगरेप की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अगर पुलिस चाहती तो महिला की जान बच सकती थी और घटना होने से भी बच सकती थी लेकिन पुलिस हादसा दिखाने के लिए लीपापोती करती रही। महिला 18 घंटे पड़ी रही। पुलिस ने एफआईआर लिखने में देरी की। महिला को जिला अस्पताल समय से नहीं पहुंचाया। आरोपियों पर समय से करवाई नहीं की गई। जिसकी वजह से इतनी बड़ी घटना हो गई। पुलिस की सक्रियता होती तो इतनी बड़ी और दरिंदगी वाली घटना नहीं होती। कहा कि महिलाओं को लेकर सरकार तो गंभीर है।
जानिए क्या है बदायूं का पूरा मामला
यूपी के बदायूं जिले के उघैती में पूजा करने गई 50 वर्षीय आंगनबाड़ी सहायिका की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी। महिला के परिजन ने मंदिर के महंत सत्य नारायण और उसके दो साथियों पर गैंगरेप और हत्या का आरोप लगाया है। इस आधार पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर वेद राम और जसपाल को मंगलवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी महंत फरार है और उसे गिरफ्तार करने के लिए चार टीमें गठित की गई हैं। वहीं, मामले में इंस्पेक्टर रावेंद्र प्रताप सिंह की खुली लापरवाही सामने आई, जिस पर एसपी देहात सिद्धार्थ वर्मा और सीओ बिल्सी अनिरुद्ध सिंह प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने थानेदार को निलंबित कर दिया।