नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर अपना रुख जाहिर करते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसका विरोध किया है। सरकार ने गुरुवार को कहा कि एक ही लिंग के जोड़े का साथ पार्टनर की तरह रहना और यौन संबंध बनाने की तुलना भारतीय परिवार से नहीं हो सकती।
हिंदू विवाह कानून और विशेष विवाह कानून के तहत समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की मांग को लेकर दायर याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने अपना रुख कोर्ट में पेश किया है। समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई है। इनमें दो महिलाएं भी हैं जो पिछले कई सालों से साथ रह रही हैं और उन्होंने समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की मांग की है।
केंद्र सरकार ने कहा कि शादी दो व्यक्तियों का मामला हो सकता है, जिसका उनकी निजी जिंदगी पर असर होता है, लेकिन इसे केवल निजता की अवधारणा में नहीं छोड़ा जा सकता है। सरकार ने कहा, ”पार्टनर की तरह साथ रहना और समान लिंग के साथ यौन संबंध रखने की तुलना भारतीय परिवार ईकाई से नहीं हो सकती है, जिसमें एक पति, पत्नी और बच्चे होते हैं। इसमें एक जैविक पुरुष ‘पति’ होता है, जैविक महिला ‘पत्नी’ और इनके मिलन से बच्चे पैदा होते हैं।”