नई दिल्ली ।।केंद्र सरकार पिछले कुछ सालों में ऐसे कानून लाती रही है, जिसपर संसद और बाहर जमकर चर्चाएं होती हैं और वे बहस का मुद्दा बन जाते हैं। अब सरकार ने मंगलवार को संसद में उस सवाल का लिखित जवाब दिया है, जोकि धर्मांतरण विरोधी कानून से जुड़ा था।

एक सवाल के जवाब में लोकसभा में गृह मंत्रालय ने बताया कि इंटरफेथ शादियों को रोकने के लिए उसकी धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की कोई योजना नहीं है। गृह मंत्रालय ने यह जवाब उस समय दिया है, जब हाल ही में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं।

इसके अलावा, असम और कर्नाटक ने भी ऐसे ही कानून बनाने का ऐलान किया है। ये सभी राज्य बीजेपी शासित राज्य हैं और इन कानूनों के बनने या फिर ऐलान होने के बाद से इसको लेकर काफी विवाद हो रहा है। इस कानून को लव जिहाद से संबंधित कानून भी बताया जाता है।

केंद्र से संसद में सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार सोचती है कि जबरदस्ती धर्मांतरण की वजह से इंटरफेथ शादियां हो रही हैं। अगर हां तो क्या सरकार के पास इसके लिए पर्याप्त सबूत हैं? वहीं, इस कानून की प्रस्तावित तारीख और जानकारी मांगी गई थी। ये सवाल सांसद मोहम्मद जावेद, टीएन प्रतापन, कुंबाकुड़ी सुधाकरण, एंटनी, ए चेल्लमकुमार ने पूछा था।

गृह मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा कि धर्मांतरण से संबंधित मुद्दे बुनियादी रूप से राज्य सरकारों के विषय हैं और कानून का उल्लंघन होने पर विधि प्रवर्तन एजेंसियां कार्रवाई करती हैं। संविधान की सातवीं अनुसची के अनुसार, लोक व्यवस्था और पुलिस राज्य के विषय हैं और ऐसे में धर्मांतरण से संबंधित अपराधों को रोकना, मामला दर्ज करना, जांच करना और मुकदमा चलाना बुनियादी रूप से राज्य सरकारों से संबंधित है। उन्होंने कहा कि कानून का उल्लंघन होने पर कार्रवाई की जाती है।

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