विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । सुशांत सिंह केस की जांच मुंबई पुलिस नहीं, बल्कि सीबीआई ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केस की जांच का अधिकार सीबीआई को देकर केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है। पहले से ही संदेह के घेरे में रही महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से तगडा झटका लगा है। रिया को भी कम धक्का नहीं लगा होगा। महाराष्ट्र पुलिस इस मामले की जांच खुद करने पर तुली हुई थी, वहीं रिया इस मामले को पटना से मुंबई में जाँच करवाना चाहती थीं।
सुशांत सिंह की मौत के करीब दो महीने हो गए हैं और तब से ही सुशांत का परिवार सीबीआई जांच की मांग कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बिहार में दर्ज एफआईआर को सही ठहराया है, इसके अलावा, मुंबई पुलिस को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले संबंधित यदि कोई अन्य मामला भी दर्ज है तो उसकी जांच भी सीबीआई ही करेगी।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ ने सुशांत सिंह मौत मामले पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति रॉय ने 11 अगस्त को इस याचिका पर सुनवाई पूरी की थी। सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में फंदे से लटके पाए गए थे।
बिहार सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि ‘राजनीतिक प्रभाव’ की वजह से मुंबई पुलिस ने एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के मामले में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार की दलील थी कि इस मामले में बिहार सरकार को किसी प्रकार का अधिकार नहीं है। रिया चक्रवर्ती के वकील का कहना था कि मुंबई पुलिस की जांच इस मामले में काफी आगे बढ़ चुकी है और उसने 56 व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं।
इसके विपरीत, सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का कहना था कि उनका महाराष्ट्र पुलिस में भरोसा नहीं है। उनका कहना था कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की पुष्टि की जाए और मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस को इस मामले में सीबीआई को हर तरह से सहयोग करने का निर्देश दिया जाए।
बिहार सरकार का दावा था कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को लेकर पटना में दर्ज कराई गई प्राथमिकी विधि सम्मत और वैध है। राज्य सरकार ने यह भी दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने उसे न तो सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराई और न ही उसने अभी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी ही दर्ज की है।
इस मामले में केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मुंबई में तो कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी दिये बगैर कोई जांच ही नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान ही केंद्र ने कहा था कि इस मामले को सीबीआई को सौंपने की बिहार सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली गई है और इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना भी जारी हो गई है।