बेंगलुरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद ने पहली बार तकनीक का ऐसा प्रदर्शन किया है, जिससे चीन की साजिशों पर अब पानी फिर जाएगा। इसरो ने ऐसा कारनामा किया है कि चीनी हैकरों के लिए किसी भी सिक्रेट मैसेज को हैक करना नामुमकिन होगा। आपने अकसर देखा होगा कि चीन के हैकर्स भारत की सुरक्षा में सेंधमारी करते रहते हैं साथ ही सबसे बड़ा डर मिलिट्री फ्रंट पर होता है, कि कहीं सेना का गोपनीय मैसेज लीक ना हो जाए। ऐसे में इसरो ने ऐसे टेक्नोलॉजी को डेवलप करने में कामयाबी हासिल की है, जिसे क्रेक करना चीनी हैकर्स के लिए नामुमकिन होगा।

इसरो की कामयाबी को समझिए

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद यानि इसरो ने 300 मीटर की दूरी तक फ्री स्पेस क्वांटम कम्यूनिकेशन का कामयाब परीक्षण किया है। इसका मतलब ये है कि इसरो ने प्रकाण कणों के जरिए एक जगह से दूसरी जगह तक मैसेज भेजने में कामयाबी हासिल कर ली है। यानि, अब एक जगह से दूसरी जगह तक प्रकाश कण फोटोंस के जरिए गुप्त संदेश भेजे जा सकते हैं और हैकर्स कितनी भी कोशिश क्यों ना कर लें, वो मैसेज को नहीं पढ़ सकते हैं। इसरो की इस उपलब्धि को कुछ इस तरह समझिए कि फ्री स्पेस क्वांटम कम्यूनिकेशन की टेक्नोलॉजी को क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन भी कहते हैं। और इसके जरिए कोई मैसेज, कोई पिक्चर या फिर कोई वीडियो भी प्रकाश कणों के जरिए फोंटोस में डाला जाता है और फिर से एक जगह से दूसरी जगह तक खास प्रकार से ट्रांसमीटर के जरिए भेजा जाता है। सबसे खास बात ये है कि इस प्रकार से भेजे गये मैसेज को एक खास प्रकार का रिसीवर ही प्राप्त कर सकता है लिहाजा हैकर्स के लिए इस प्रकार के मैसेज को डिकोड करना मामुमकिन से कम नहीं होगा।

इसरो की शुद्ध स्वदेशी टेक्नोलॉजी

इसरो का ये टेक्नोलॉजी शुद्ध स्वदेशी है यानि इसे पूरी तरह से भारत में ही बनाया गया है। लिहाजा भारत के लिए ये गर्व की बात है। इसरो ने नाविक रिसीवर को अपग्रेड करके इसे इस लायक बनाया है कि वो फ्री स्पेस क्वांटम कम्यूनिकेशन को डिसप्ले कर सके। जिसके बाद अब इसरो इस तकनीक को और ज्यादा मजबूत करने में जुट गया है। अगर इसरो इस तकनीक को और शक्तिशाली करने में कामयाबी हासिल कर लेता है तो फिर स्पेस से भेजे गये मैसेज, खासकर सीक्रेट मैसेज को साथ ही अपने सैटेलाइटट से भेजे गये मैसेज को बेहद कम वक्त में काफी ज्यादा सिक्योरिटी के साथ हासिल कर सकता है। जिसके बाद किसी भी देश के कितेने भी ताकतवार हैकर्स के लिए इन मैसेज को पढ़ पाना नामुमकिन होगा।

भविष्य की टेक्नोलॉजी

फ्री स्पेस क्वांटम कम्यूनिकेश के जरिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने में भी कामयाबी हासिल की है। जिसे भविष्य की टेक्नोलॉजी कहा जाता है। यानि, ये इतना ज्यादा सुरक्षित है कि इस तकनीक से की गई बातचीत को कोई भी नहीं जान सकता है। मान लीजिए भविष्य में अगर कोई लड़ाई होती है और इंडियन मिलिट्री को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोई महत्वपूर्ण प्लान बनाना हो तो उसे इंडियन मिलिट्री बिना किसी डर के प्लान बना सकती है और उस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को दुश्मनों के लिए हैक करना नामुमिकन होगा। विश्व के विकसीत देश जैसे चीन और अमेरिका इसी टेक्नोलॉजी को और विकसित करने पर काम कर रहे हैं।

क्या है क्वांटम क्रिप्टोग्राफी

क्वांटम क्रिप्टोग्राफी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी माना जाता है जिसका मतलब ये होता है कि किसी संदेश को प्रकाश कण फोंटोस में बदल दिया जाता है और फिर उसे सुरक्षित रखा जाता है। इसे इस तरह से सुरक्षित रखा जाता है कि कोई इसे ब्रेक नहीं कर सकता है। यानि, जो मैसेज आप वाट्सएप पर किसी को भेजते हैं वो जितना सुरक्षित होता है उससे लाखों गुना ज्यादा सुरक्षित इसरो की ये टेक्नोलॉजी है। लिहाजा, इसरो के लिए इस टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण करना काफी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

भारतीय साइंटिस्ट को सलाम

इसरो ने जिस टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण किया है, उसे तोड़ने के लिए दुनिया में अभी तक कोई ऐसी टेक्नोलॉजी बनी ही नहीं है। अभी तक दुनिया के किसी भी देश के पास वो तकनीक नहीं है, जिसके जरिए वो क्रिप्टोग्राफी के मैसेज को ब्रेक कर सके। इसरो ने इस टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन अहमदाबाद स्थिति स्पेस एप्लिकेशन सेंटर में किया है और अब इसरो सैटेलाइट बेस्ड क्वांटम कम्यूनिकेशन का इस्तेमाल अपने दो ग्राउंड स्टेशन के बीच करेगा। इसरो की कोशिश है कि वो अपनी इस कामयाबी को दुनिया के सामने दिखाकर ये बताए कि भारतीय वैज्ञानिक दुनिया में किसी भी देश के वैज्ञानिक से कमजोर नहीं हैं।

चीन के साथ रेस

कुछ समय पहले रिपोर्ट आई थी कि चीन भी फ्री स्पेस क्वांटम कम्यूनिकेशन की टेक्नोलॉजी को विकसित करने जा रहा है। चीन की भी कोशिश यही थी कि उसके मैसेज को कोई और देश या हैकर्स तोड़ ना सके। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने इस नेटवर्क में सेना, बैंक, सरकार और बिजली विभाग के 2 हजार से ज्यादा अधिकारियों को इस नेटवर्क से जोड़ा था। चीन का ये संदेश सिर्फ नेटवर्क में मौजूद लोग ही पढ़ सकते थे। इसके साथ ही रिपोर्ट ये भी है कि 2030 तक चीन ऐसे ही सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में स्थापित करने की कोशिश में हैं और इसी कोशिश में इसरो भी लग गया है। यानि, इसरो और चीन के बीच एक तरह की प्रतिस्पर्धा चल रही है। माना जा रहा है कि टीन अपना क्वांटम शेयरिंग नेटवर्क बनाने की कोशिश में लगा है ताकि देश की सुरक्षा किया जा सके और इसरो का भी मकसद भविष्य में साइबर वार से देश को बचाने के लिए इसी टेक्नोलॉजी को विकसित करना है।

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