लक्ष्मी कान्त द्विवेदी

कांग्रेस भले ही धर्मनिरपेक्षता और मुस्लिम हितों के समर्थन का दम भरती हो और मुसलमानों को अपना वोट बैंक मानती हो, लेकिन दिल्ली में मतदान के बाद जारी एक्जिट पोल के नतीजों पर यकीन करें, तो मुस्लिम मतदाताओं ने उससे ज्यादा भाजपा में भरोसा जताया है।

आम आदमी पार्टी को 60, भाजपा को 18.9 और कांग्रेस को 14.5 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिलने का अनुमान

आईएएनएस-सी वोटर्स के एक्जिट पोल के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की हिस्सेदारी सबसे अधिक रही और लगभग साठ फीसदी मुस्लिमों ने उसे वोट दिया। उसके बाद भाजपा को 18.9 प्रतिशत, जबकि कांग्रेस को 14.5 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले। इस प्रकार आम आदमी पार्टी को भाजपा और कांग्रेस को मिले मुस्लिम मतों से दोगुने वोट मिलने के आसार हैं। इस सर्वेक्षण में दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों के 11,839 मतदाताओं को शामिल किया गया था।

वैसे भाजपा को शुरू से ही एक वर्ग के मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिलता रहा है। जनसंघ के जमाने में भी उसे लगभग बीस फीसदी मुस्लिम मत मिल जाया करते थे, उसमें सबसे बड़ी तादाद शिया मुस्लिमों की हुआ करती थी। लेकिन इस बार सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों को जिस प्रकार मुस्लिम विरोधी बता कर प्रचारित किया जा रहा था, उससे इसमें कमी आने की आशंका जताई जा रही थी।

कांग्रेस की रणनीति पर उठे सवाल

जहां तक कांग्रेस का सवाल है, तो वह पिछले लगभग सौ वर्षों से येन-केन प्रकारेण मुस्लिम समुदाय को अपने पाले में खींचने की जद्दोजहद में जुटी रही है। इसके लिए अनेक अवसरों पर उसने सही-गलत, न्याय-अन्याय, उचित-अनुचित पर विचार करने की जहमत भी नहीं उठायी, जिसके चलते उस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने के आरोप भी लगे। लेकिन इस बार दिल्ली के मुस्लिम मतदाताओं ने जिस प्रकार उससे मुंह फेरा, उसने पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिये हैं।

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