नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसान संगठनों ने बड़ा ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि मई के पहले हफ्ते में किसान संसद तक मार्च करेंगे। दिन और तारीख का ऐलान जल्द किया जाएगा। पिछले चार महीनों से ज़्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे हैं। किसान संगठनों ने आज बैठक करके ये फैसला किया कि किसान अपनी मांगों को लेकर संसद की तरफ कूच करेंगे। मई के पहले हफ्ते में किसान संसद तक मार्च करेंगे।

किसान आंदोलन में अब तक क्या-क्या हुआ

  • 26 नवंबर 2020 को पंजाब और हरियाणा से निकले किसानों के जत्थों जे दिल्ली की तरफ कूच किया था। दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस के साथ हुए संघर्ष में किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया गया था।
  • एक दिसंबर से सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ। एक के बाद एक 11 दौर की बातचीत सरकार और तकरीबन 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच हुई। ये सारी बैठकें बेनतीजा रहीं।
  • 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर रोक लगा दी थी और एक कमेटी का गठन किया था हालांकि किसानों ने कमेटी को नहीं माना।
  • 26 जनवरी को किसान परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद लगने लगा था कि किसान आंदोलन कमजोर पड़ रहा है, लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन में नई जान डाल दी, जिसके बाद आंदोलन अगले चरण में ले जाते हुए किसान संगठनों ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों पंचायत और महापंचायत की जो अभी भी जारी है।

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