वाराणसी। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का विवादों से नाता गहरा होता जा रहा है। आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर छात्र और विश्वविद्यालय प्रशासन आमने-सामने रहते हैं। ताजा मामला बीएचयू को पूरी तरह अनलॉक करने को लेकर है।

छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर को पूरी तरह खोलने की मांग को लेकर मुख्यद्वार को बंद कर दिया है। साथ ही अनशन पर बैठ गए हैं। छात्रों के तेवर देख विश्वविद्यालय प्रशासन बैकफुट पर है।

सिर्फ अंतिम वर्ष की कक्षाएं शुरु करने से खफा हैं छात्र

कोरोना काल के दौरान विश्वविद्यालय पूरी तरह बंद कर दिया गया था। घटते आंकड़ों और केंद्र सरकार की गाइडलाइन आने के बाद बीएचयू को खोलने का फैसला किया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का काम शुरु हुआ।

इस बीच 22 फरवरी से सभी पाठ्यक्रमों में अंतिम वर्ष की कक्षाएं शुरु कर दी गई। लेकिन इस फैसले के साथ ही विश्वविद्यालय में विवाद शुरु हो गया। छात्रों की मांग है कि विश्वविद्यालय परिसर को पूरी तरह से खोला जाए। अपनी इन्हीं मांगों को रखते हुए छात्रों का एक बड़ा धड़ा सिंहद्वार पर धरना पर बैठ गए हैं।

प्रदर्शन से मरीजों को हो रही है परेशानी

धरनारत छात्रों का कहना है कि जब बनारस में सभी महाविद्यालय खुल चुके हैं तो यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार बीएचयू अब तक क्यों नहीं खुल रहा है। छात्रों ने ऑनलाइन पढ़ाई को ढोंग बताते हुए कहा कि महामना की 2300 एकड़ की जगह पांच इंच का मोबाइल डिस्प्ले नहीं ले सकता।

ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर छात्रों को गुमराह किया जा रहा है। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगे नहीं मानी गई तो अब आंदोलन का दायरा बढ़ा दिया जाएगा। छात्रों के विरोध प्रदर्शन के चलते सर सुंदरलाल अस्पताल आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

हालांकि छात्रों ने एंबुलेंस को नहीं रोकने का फैसला किया है। दूसरी तरफ प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारी छात्रों को समझाने में लगे हैं।

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