बैंक हड़ताल के पहले दिन 400 करोड़ का लेनदेन हुआ था प्रभावित 

बैंकों के निजीकरण करने के सरकार के फैसले के विरोध में बैंक कर्मचारियों की दूसरे दिन भी हड़ताल चालू है। जिसका असर आम लोगों पर भी पड़ रहा है। बैंक बंद पड़े हैं, जहां लोगों की लाइन दिखती थी वहां अब लोग नहीं है। जो भी बैंक के काम से आते हैं, वह मायूस होकर वापस लौट जा रहे हैं। वहीं, शहर में कई जगहों के एटीएम में पैसे न होने से लोगों की और ज्यादा परेशानी बढ़ गई है।

सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

दो दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन भी स्टेट बैंक, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा आदि बैंकों के कार्यालयों में ताले लटके हैं। इस दौरान कर्मचारी धरना देकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। हड़ताल की वजह से जिले में पहले दिन सोमवार को करीब 400 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित हुआ। वहीं, आठ से दस हजार चेकों का निस्तारण भी नहीं हो सका।

बैंक पहुंचे लोग हुए निराश

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैक यूनियन के आह्वान पर बैंक कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर रहे। बैंकों में लोग खातों में जमा निकासी के लिए गए, लेकिन वहां ताला बंद होने की वजह से वापस होना पड़ा। कुछ लोग चेक लेकर भी उसे क्लीयरिंग कराने गए थे, वह भी इधर-उधर भटकते रहे।

निजीकरण को बताया आमजन के खिलाफ

एसबीआईओए के मुख्य क्षेत्रीय सचिव सुरेश चंद्र, एसबीआईएसए के  उप महामंत्री दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि बैंकों का निजीकरण करने का फैसला आम जनता, विद्यार्थियों, महिलाओं सभी के  हित में ठीक नहीं है। इस दौरान मनोज सिंह, रघुबर तिवारी, अमरेंद्र, पंकज कुमार, बीके सिंह, प्रकाश रंजन आदि मौजूद रहे।

400 करोड़ से अधिक का व्यवसाय हुआ प्रभावित

यूनियन बैंक के सिकरौल स्थित क्षेत्रीय कार्यालय पर सभा में आल इंडिया यूनियन बैंक आफिसर्स फेडरेशन के संयुक्त महासचिव अभय श्रीवास्तव ने कहा कि यूनियन बैंक की सभी 110 शाखाएं बनारस और चंदौली में बंद रही। बैंकों की हड़ताल से 400 से अधिक का व्यवसाय प्रभावित रहा। बैंक ऑफ इंडिया अधिकारी संगठन के अध्यक्ष अभिषेक श्रीवास्तव के निर्देशन में अधिकारियों, कर्मचारियों ने धरना देकर आवाज बुलंद की।

आज भी नहीं खुले बैंक

 सोमवार को हड़ताल की वजह से जहां बैंक बंद रहे, वहीं मंगलवार को भी कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से समस्या अभी बनी हुई है। हालांकि सोमवार को हड़ताल में निजी बैंक शामिल नहीं रहे, लेकिन अधिकांश निजी बैंकों में भी सन्नाटा छाया रहा। 

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