वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन से टकराव के बीच पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी सेना ने अपनी तैनाती एवं सतर्कता बढ़ा दी है। नियंत्रण रेखा पर हालांकि हमेशा ही सेना हर प्रकार की चुनौती से निपटने लिए तैयार रहती है, लेकिन चीन और पाकिस्तान की बढ़ती जुगलबंदी के चलते पाकिस्तान की नापाक हरकतों को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।
सूत्रों के अनुसार नियंत्रण रेखा पर तैनाती बढ़ाई गई है ताकि किसी प्रकार की घुसपैठ नहीं होने दी जाए। दूसरे पाकिस्तान की तरफ से की जाने वाली अचानक फायरिंग के दौरान आतंकियों को घुसाने की कोशिशों को सफल नहीं होने दिया जाए। नित्रयंण रेखा पर पिछले एक-डेढ़ महीने के दौरान संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाएं बढ़ रही हैं।
सेना के सूत्रों का मानना है कि फायरिंग के पीछे सेना को उलझाकर पाकिस्तान घुसपैठ करा सकता है। इस बीच पीओके में पाक सेना की बड़े पैमाने पर तैनाती की खबरों को भी भारतीय सुरक्षा बलों ने गंभीरता से लिया है। हालांकि पाकिस्तान ने इन दावों को खारिज किया है, लेकिन इस सूचना के बाद सेना को अलर्ट पर रखा गया है तथा अग्रिम मोर्चे पर सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई है।
इस बीच चीन द्वारा पाकिस्तान को चार हथियारबंद ड्रोन दिए जाने को सुरक्षा बल चीन और पाकिस्तान की जुगलबंद के रूप में देख रहे हैं। हालांकि ये ड्रोन चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कारीडोर की सुरक्षा के नाम पर चीन दे रहा है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है। बात सिर्फ आर्म्ड ड्रोन तक ही सीमित नहीं है, ग्वादर पोर्ट पर चीनी नौसेना के जंगी पोतों की आवाजाही भी उपग्रह के चित्रों में देखी गई है। इसलिए भारतीय सुरक्षा हितों के लिए यह नई चुनौती है।
रक्षा विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारत को भी जल्द अमेरिका से आर्म्ड ड्रोन हासिल करने चाहिए। आर्म्ड ड्रोन एक तरह से मानव रहित लड़ाकू विमान ही है जो मिसाइलों से लैस होते हैं। अमेरिका पूर्व में इसकी सहमति दे चुका है। भारतीय सेनाएं तीस हथियारबंद ड्रोन खरीदने की तैयारी में हैं।
सियाचिन में भारत की स्थिति मजबूत
रक्षा विशषेज्ञ लेफ्टनेंट जनरल राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि सियाचिन में भारतीय सेना की मौजूदगी रणनीतिक तौर पर पाकिस्तान से कहीं ज्यादा बेहतर है। भारतीय सेना शानदार तरीके से 76 किमी विशाल ग्लेशियर पर नजर रखे हुए है। इसलिए पाकिस्तान की मदद लेकर भी चीन यहां कोई हरकत नहीं कर पाएगा। सियाचिन से भारत ने समूचे काराकोरम क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बना रखी है। वह यहां हर चुनौती से निपटने में सक्षम है।