कहते हैं कि जिस कहानी का कोई आधार नहीं होता उसके पैर कभी भी उखड़ सकते हैं। ऐसा ही होता दिख रहा है पेगासस (Pegasus) जासूसी कांड की स्क्रिप्ट तैयार करने वाली संस्था ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ के साथ। भारत मे राजनैतिक तूफान लाने वाले इस कांड से अब एमनेस्टी ने अपने हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं।
बुधवार (21 जुलाई, 2021) को एमनेस्टी ने बयान जारी करते हुए कहा कि 50,000 फोन नंबरों की सूची पेगासस जासूसी सॉफ़्टवेयर बनाने वाली एनएसओ से सीधे संबंधित नहीं है। एमनेस्टी ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि उसने ये कभी नहीं कहा कि जिन नम्बरों की लिस्ट उसने जारी की है, उनकी जासूसी हुई है।
एमनेस्टी का कहना है कि ऐसा दावा कुछ मीडिया संस्थानो ने किया है और ये उनका दावा नहीं है। एमनेस्टी अब कह रहा है कि पेगासस फोन नंबरों की सूची सम्भावित ग्राहकों की लिस्ट भी हो सकती है, जिनकी जासूसी कराने में विभिन्न देशों की खुफिया एजेंसियों को दिलचस्पी हो सकती थी। सूची सीधे तौर पर एनएसओ से सम्बंधित नहीं है।
बता दें कि पेगासस सॉफ्टवेयर डेवलप करने वाली इज़राइली कम्पनी एनएसओ ने जासूसी की खबर उड़ाने वाले मीडिया संस्थानों को कोर्ट में घसीटने की धमकी दी थी।
एनएसओ ने साफ कहा था कि इस रिपोर्ट का कोई आधार नहीं है। ये एक ऐसी पत्रकारिता है, जिसमें इंटरनेट पर पहले से उपलब्ध जानकारियों को खुलासे की शक्ल देकर उसे सनसनीखेज तरीके से पेश किया गया है।
50,000 फोन नम्बरों की लिस्ट को बनाया खुलासे के ‘आधार’
जाँच के केंद्र में 50,000 फोन नंबरों की एक ‘लीक’ सूची है जिनकी कथित तौर पर पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का उपयोग करके जासूसी की गई। हालाँकि 50,000 फोन नम्बरों में से सिर्फ 37 में ही स्पाई सॉफ्टवेयर की कथित घुसपैठ के सबूत मिले हैं। कुछ मीडिया संस्थानों ने इस पूरी कहानी को ऐसे प्रस्तुत किया जैसे इन सभी नम्बरों को लक्षित कर के जासूसी की गई है।
इन मीडिया संस्थानों द्वारा नम्बरों की इस पूरी सूची को जासूसी सॉफ्टवेयर बनाने वाली इज़राइली कम्पनी एनएसओ से सीधा जोड़ा गया था। कुछ मीडिया संस्थानों ने अपनी कहानी में ज़ोर देकर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि ये नम्बर एनएसओ के उन ग्राहकों की सूची है जिनको लक्ष्य कर के जासूसी की गई।
कई मीडिया हाउस और न्यूज़ पोर्टल्स ने अपनी रिपोर्टों में बार-बार सूची को सीधे एनएसओ से जोड़ा और दावा किया कि सूची में प्रत्येक नंबर जाहिरा तौर पर पेगासस का लक्ष्य था, जिसकी जासूसी की जा रही थी। हालाँकि, एमनेस्टी अब सफाई दे रही है कि इस लिस्ट का अर्थ यह नहीं है इनकी जासूसी की गई।
एमनेस्टी की सफाई- लिस्ट सम्भावित ग्राहकों की, सभी की जासूसी के सबूत नहीं
संगठन ने बुधवार (21 जुलाई, 2021) को जारी एक बयान में कहा, “एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कभी भी इस सूची को ‘एनएसओ की पेगासस स्पाइवेयर सूची’ के रूप में प्रस्तुत नहीं किया है, ऐसा मीडिया के एक हिस्से ने किया होगा।”
एमनेस्टी का कहना है कि जिन खोजी पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स के साथ वह काम करता हैं, उन्हें शुरू से ही बहुत स्पष्ट भाषा में यह बता दिया गया था कि 50,000 नम्बरों की यह सूची एनएसओ के चिह्नित संभावित ग्राहकों की एक सूची भर हो सकती है।
संस्था का कहना है:
“पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों, वकीलों आदि की यह सूची कंपनी के उन सम्भावित ग्राहकों की हो सकती है, जिनकी जासूसी कराने के विभिन्न देशों की जाँच एजेंसियों और सरकारों को रुचि हो सकती है।”
बता दें कि इस कथित पेगासस जासूसी कांड का खुलासा एमनेस्टी इंटरनेशनल और मिडियापार्ट ने मिल कर किया था। एमनेस्टी भारत विरोधी गतिविधियों और नियमों के उल्लंघन के मामले में भारतीय जाँच एजेंसियों के निशाने पर आई थी, जिसके बाद ये कम्पनी सरकार को भला बुरा कहते हुए भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेट कर भाग खड़ी हुई थी।
इसकी सहयोगी ‘मिडियापार्ट’ वही वामपंथी खोजी पोर्टल है जो फ़्रांस में रफ़ाल डील के खिलाफ प्रॉपगेंडा कर रहा है। कथित खुलासे में 50,000 फोन नम्बरों की लिस्ट का हवाला दिया है। इज़राइली एनएसओ ग्रुप का दावा है कि ये नंबर पहले से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं और दुनिया के 45 देशों में रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 300 नम्बर भारत में रजिस्टर्ड हैं।
जाँच करने वाली संस्थाओं ने इनमें से 1500 नंबरों की पहचान की और 67 मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जाँच कराई गई। इनमें से 37 मोबाइल फोन में पेगासस के जरिए छेड़छाड़ या घुसपैठ के सबूत मिले, जिसमें 9 भारत के थे। 50,000 फोन नंबरों में से सिर्फ 37 यानी 0.074% मोबाइल फोन में संभावित जासूसी घुसपैठ को इतने बड़े खुलासे का आधार बनाया गया है।