पटना। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने  कहा कि मुझे जो जिम्मेदारी दी गई है, उसे अच्छी तरह से निभाउंगा। पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए हम सभी एक साथ मिलकर काम करेंगे। आरसीपी सिंह ने कहा कि हम जिसके साथ रहते हैं, पूरी ईमानदारी के साथ रहते हैं। किसी को भी धोखा नहीं देते हैं। हम साजिश नहीं करते हैं। हमारी पार्टी सिद्धांत को कभी नहीं छोड़ सकती है। हमारा संस्कार बहुत मजबूत है, जिसे कोई हिला नहीं सकता है। नीतीश कुमार के खिलाफ कोई बात हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में जदयू के सात में से छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इसे लेकर पार्टी के अंदर काफी नाराजगी है।

वहीं जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो हुआ वह गठबंधन की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि बिहार में जदयू-भाजपा गठबंधन पर अरुणाचल की घटना का कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 1967 में डॉ लोहिया ने गठबंधन की राजनीति की शुरुआत की थी। इस गठबंधन की राजनीति तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में फली-फूली। 23 पार्टियों के गठबंधन की सरकार को उन्होंने चलाया और किसी को शिकायत का मौका नहीं दिया। अरुणाचल प्रदेश में उस अटल धर्म का भी पालन नहीं किया गया।  

आईएएस अफसर रहे हैं आरसीपी 

राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह वर्ष 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के उत्तर प्रदेश कैडर के अफसर रहे हैं। अफसर से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के सफर उन्होंने इन 36 सालों में तय किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब केंद्र में कृषि और रेल मंत्री रहे तब आरसीपी सिंह उनके निजी सचिव बने। बिहार में जब वर्ष 2005 में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो उनके प्रधान सचिव के रूप में भी आरसीपी सिंह ने काम किया। नौकरी से वीआरएस लेकर आरसीपी सिंह राजनीति में आये। नालंदा के अस्थावां प्रखंड के मुस्तफापुर गांव के निवासी आरसीपी स्नातक की डिग्री पटना साइंस कॉलेज से प्राप्त की।

जदयू कार्यालय में बजे ढोल-नगाड़े

आरसीपी सिंह के जदयू के नये अध्यक्ष बनाये जाने के बाद कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल रहा। कार्यालय के पास कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़े बजाये। खुशी में कार्यकर्ता पटाखे भी फोड़े। नीतीश कुमार जिंदाबाद के खूब नारे भी लगे। पार्टी का झंडा भी हवाओं में लहराते रहे। सभी ने नीतीश कुमार के नये अध्यक्ष बनाये जाने का निर्णय का स्वागत किया। नेताओं और कार्यक्राताओं ने खूब मिठाइयां बांटी। पार्टी कार्यालय के पास से गुजर रहे आम लोगों को भी कार्यकर्ताओं ने लड्डू खिलाया।  

नीतीश कुमार ने क्यों छोड़ा पद?

  1. बिहार विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सीटें नहीं मिली।
  2. चुनाव के दौरान संगठन की उदासीनता सामने आयी।
  3. दोहरी बड़ी जिम्मेदारी संभालने में हो रही थी दिक्कत।
  4. एक स्वतंत्र अध्यक्ष होने से संगठन मजबूत होगा।
  5. दूसरे राज्यों में संगठन का विस्तार कर पाएंगे।

आरसीपी क्यों?

  1. आईएएस और कुशल प्रशासक रहे हैं।
  2. नीतीश कुमार के भरोसेमंद सहयोगी हैं।
  3. बेहतर समन्वय के लिये जाने जाते हैं।
  4. जदयू संगठन के लिए समर्पित रहे। 
  5. पंचायत तक कार्यकर्ताओं से सीधा

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