नई दिल्ली | अटल टनल के बाद अब श्रीनगर से लेह को जोड़ने वाली प्रस्तावित जोजिला टनल का निर्माण कार्य शुरू हो गया । केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को आज 14.15 किलोमीटर लंबी जोजिला सुरंग के निर्माण कार्य के लिये पहले विस्फोट प्रक्रिया की वीडियो के माध्यम सै शुरुआत की। इस सुरंग के बनने से श्रीनगर घाटी और लेह के बीच 12 महीने संपर्क सुविधा मिल सकेगी।
निर्माण प्रक्रिया में विस्फोटकों का उपयोग कर विस्फोट के जरिये ठोस पदार्थों को हटाया जाता है। परियोजना का रणनीति महत्व है क्योंकि जोजिला दर्रा श्रीनगर-करगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11,578 फुट की ऊंचाई पर है और भारी हिमपात के कारण जाड़े में बंद रहता है। फिलहाल यह दुनिया में वाहनों के परिचालन के लिहाज से सवर्धिक खतरनाक मार्गों में से एक है और यह परियोजना भू-रणनीतिक रूप से संवेदनशील भी है।
गडकरी बृहस्पतिवार को जोजिला सुरंग के निर्माण कार्य के लिये पहले विस्फोट कार्य की शुरूआत की। ‘सुरंग राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर श्रीनगर घाटी और लेह के बीच द्रास और करगिल होते हुए सभी मौसम में उपयोगी संपर्क सुविधा उपलब्ध कराएगी।इससे जम्मू कश्मीर में चौतरफा आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक समन्वय हो सकेगा।
इस परियोजना के तहत जोजिला दर्रे के तहत करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर 14.15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनायी जाएगी। अभी केवल छह महीने ही इस मार्ग से वाहन आ-जा सकते हैं। बयान के अनुसार यह सुरंग जब बनकर तैयार होने के बाद आधुनिक भारत के लिये एक उल्लेखनीय उपलब्धि होगी। लद्दाख, गिलगित और बाल्टिस्तान क्षेत्रों में बड़े स्तर पर सैन्य गतिविधियों को देखते हुए यह देश की रक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
बयान में कहा गया है कि जोजिला सुरंग परियोजना से करगिल, द्रास और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की 30 साल की मांग पूरी होगी। परियोजना से श्रीनगर-करगिल-लेह खंड में यात्रा हिमस्खलन मुक्त होगी। इससे यात्रा न केवल सुरक्षित होगी बल्कि इसमें लगने वाला समय 3 घंटे से कम होकर मात्र 15 मिनट रह जाएगा।
परियोजना का पुन:आबंटन मेघा इंजीनियरंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लि. (एमईआईएल) को दिया गया है. कंपनी परियोजना के लिये सबसे कम 4,509.5 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। दो अन्य बोलीदाता कंपनियां लार्सन एंड टूब्रो और इरकॉन इंटरनेशनल जेवी थी। प्रधानमंत्रत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2018 में 6,800 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए आधारशिला रखी थी।