कोलकाता। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुमान के मुताबिक पश्चिम बंगाल में टीएमसी के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी ने आखिर विधायक पद से इस्तीफा दे ही दिया। बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले टीएमसी प्रमुख सीएम ममता बनर्जी को यह सबसे करारा झटका इसलिए लगा है कि शुभेन्दु के त्यागपत्र देने के बाद तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ देखने को मिलेगी।

बुधवार को अपराह्न में शुभेंदु अधिकारी ने स्पीकर के मौजूद न होने पर सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपा। बताया जा रहा है कि अपने आफिस को भगवा रंग में रंग चुके शुभेंदु अधिकारी बीजेपी का दामन थामेंगे। गृहमंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान शुभेंदु भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेगे।

पश्चिम बंगाल की 65 विधानसभा सीटों पर अधिकारी परिवार की मजबूत पकड़ है। ये सीटें राज्य के छह जिलों में फैली हैं। शुभेंदु के प्रभाव वाली सीटों की संख्या राज्य की कुल 294 सीटों के पांचवें हिस्से से ज्यादा है। शुभेंदु अधिकारी पूर्वी मिदनापुर जिले के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता शिशिर अधिकारी 1982 में कांथी दक्षिण से कांग्रेस के विधायक थे। लेकिन बाद में वे तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक बन गए। शुभेंदु अधिकारी 2009 से ही कांथी सीट से तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं।

शुभेंदु ने कांथी दक्षिण सीट पहली बार 2006 में जीती थी। तीन साल बाद वे तुमलुक सीट से सांसद चुने गए। लेकिन इस बीच उनकी प्रसिद्धि काफी बढ़ती गई। 2007 में शुभेंदु अधिकारी ने पूर्वी मिदनापुर जिले के नंदीग्राम में एक इंडोनेशियाई रासायनिक कंपनी के खिलाफ भूमि-अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया। शुभेंदु ने भूमि उछेड़ प्रतिरोध कमेटी के बैनर तले ये आंदोलन खड़ा किया था, जिसका बाद में पुलिस और सीपीआईएम के कैडर के साथ खूनी संघर्ष हुआ।

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