आतंकवादी संगठन तालिबान के साथ अमेरिका की शांति डील लगभग खटाई में पड़ती नजर आ रही है। अफगानिस्तान एक बार फिर गृहयुद्ध की आग मे झुलसने की ओर है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 35 मिनट तक फोन करने के बाद भी तालिबान ने बुधवार को 20 अफगान सैनिकों को मार डाला। तालिबान की इस कार्रवाई के बाद अब अमेरिका ने भी जोरदार हवाई हमला किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ बातचीत के बाद तालिबान लड़ाकुओं ने उत्तरी अफगानिस्तान में अफगान सेना और पुलिस कर्मियों पर भीषण हमला किया और 20 जवानों को मार डाला। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान के कुंदुज प्रांत में तालिबान ने अफगान नैशनल आर्मी के सैनिकों पर हमला किया। इस हमले में 20 सैनिकों और 3 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।

अफगान सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने 10 सैनिकों को बंधक भी बना लिया है। इस हमले के बाद अमेरिकी वायुसेना ने भी तालिबान के ठिकानों पर बम बरसाए हैं। अमेरिकी वायुसेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि तालिबान हमलावर हेलमंद प्रांत के नस्र-ए-सराज इलाके में अफगान सेना पर हमले कर रहे थे। यह हमला आत्मरक्षा में किया गया है ताकि हमलों को रोका जा सके। पिछले 11 दिनों में अमेरिका की ओर से यह पहला हमला है। बताया जा रहा है कि इस जवाबी हमले में कई तालिबानी मारे गए हैं।

अमेरिकी वायुसेना ने कहा, ‘तालिबान नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि वे हिंसा को कम करेंगे और हमले नहीं बढ़ाएंगे। हम तालिबान से आह्वान करते हैं कि वे हमले बंद करें और अपने वादों को पूरा करें। जैसा कि हमने पहले किया है, हम जरुरत पड़ने पर अपने पार्टनर्स की मदद करेंगे। हम स्पष्ट करते हैं कि हम शांति को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हालांकि हमारे ऊपर अफगान सेना की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।

दोनों पक्षों के हमलों के बाद अब अफगानिस्तान में शांति डील खटाई में पड़ती दिख रही है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और तालिबान के बीच सीमित युद्धविराम संधि के समाप्त होने के कुछ घंटे बाद ही ये हमले किए गए थे। अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को हुए शांति समझौते के अनुसार अंतर-अफगानिस्तान वार्ता 10 मार्च को होनी है लेकिन कैदियों की अदला-बदली ने इसके होने ना होने पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अमेरिका-तालिबान के बीच हुए समझौते में अफगान सरकार द्वारा पांच हजार तालिबान कैदियों की रिहाई की बात थी। तालिबान को 1,000 कैदियों को रिहा करना था।

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