देश के पश्चिम छोर ताउते तूफान से अभी पूरी तरह उबर नहीं पाएं हैं और एक नया चक्रवात दस्तक देने को तैयार है। चक्रवात यास बंगाल की खाड़ी बन रहा है और यह पश्चिम बंगाल व ओडिशा के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करेगा। मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवात यास 25 मई के आसपास बंगाल की खाड़ी में बनकर तैयार होगा। इसके बाद यह उत्तर-पश्चिम दिशा का रुख करते हुए बंगाल और फिर 26 मई को ओडिशा के तट पर पहुंचेगा।

जानकारी के अनुसार, उत्तर अंडमान सागर और पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी में 22 मई को कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। इसके बाद के 72 घंटों के दौरान यह धीरे-धीरे चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है। यहां से चक्रवात उत्तर पश्चिम दिशा की ओर बढ़ेगा और पश्चिम बंगाल-ओडिशा के तटों पर 26 मई की शाम तक पहुंचने की आशंका है।

मौसम विभाग के अनुसार, अंडमान और निकोबार में 22 और 23 मई को कई इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश होने के आसार हैं। साथ ही निर्जन इलाकों पर तेज से भारी बारिश हो सकती है। इसी तरह 25 मई की शाम से ओडिशा-पश्चिम बंगाल के अधिकतर इलाकों में हल्की से मध्यम और छिटपुट जगहों पर भारी बारिश शुरू होने की संभावना है। धीरे-धीरे इसके विस्तार और तीव्रता में भी वृद्धि हो सकती है। मौसम विभाग की मानें तो इसका असर असम और मेघालय में भी देखने को मिलेगा।

तूफान के दौरान हवाओं की रफ्तार भी तेज रहेगी। मौसम विभाग के अनुसार, 23 मई को अंडमान सागर और पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी में हवाओं की रफ्तार 45-55 किमी/घंटे से 65 किमी/घंटे तक हो सकती है। 23 मई से हवाओं की रफ्तार बढ़कर 50-60 किमी/घंटे से 70 किमी/घंटे तक होने के आसार हैं। इसके बाद मध्य बंगाल की खाड़ी के अधिकतर हिस्सों में 24 और 26 मई तक आंधी और उत्तर बंगाल की खाड़ी के साथ ओडिशा- पश्चिम बंगाल- बांग्लादेश के तटों पर 25 से 27 मई तक तेज आंधी तूफान की आशंका है।

21 मई से दक्षिणपूर्व बंगाल की खाड़ी और दक्षिण अंडमान सागर की स्थिति खराब से बेहद खराब रहने के आसार हैं। 23 मई को अंडमान सागर और उससे सटे पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी में समुद्र की स्थिति खराब से बेहद खराब होगी। 24 से 26 मई तक उत्तर बंगाल की खाड़ी ऊंची से बहुत ऊंची लहरें (6-9 मीटर से 9-14 मीटर तक) उठेंगी। इसी तरह 25 से 27 मई तक ओढिशा-पश्चिम बंगाल के तटों पर हलचल तेज रहेगी।

पिछले चक्रवात का नाम ताउते था जिसे म्यामांर ने सुझाया था जबकि यास का नाम ओमान की ओर सुझाए गए नामों की लिस्ट से है। इसका अर्थ है- निराशा। चक्रवात के नामकरण क्षेत्र में रोटेशन के आधार पर अलग-अलग देशों की ओर से दिए जाते हैं। नामकरण की इस पहल की शुरुआत अटलांटिक क्षेत्र में 1953 में एक संधि के माध्यम से हुई थी।

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