वाराणसी। दुष्कर्म के आरोपित भगोड़े स्वयंभू बाबा नित्यानंद व उसके समर्थकों की नजर एक दशक पहले ही मणिकर्णिका घाट स्थित भिखारी धर्मशाला पर पड़ गई थी। गंगा किनारे मौजूद धर्मशाला को हड़पने के लिए धर्मशाला के लिए पुरानी संस्था मणिकर्णिका सेवाश्रम के नाम में हेरफेर करके एक नई संस्था मणिकर्णिका सेवा आश्रम बनाकर कूटरचना करते हुए सहायक निबंधक फम्र्स, सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एवं चिट्ज के यहां नवीनीकरण करा लिया।मगर कागजों में भी प्रशासन का दावा इस पर मजबूत है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर योजना में यह भवन चिह्नित है और इसे ध्वस्त किया जाना है।
हालांकि धर्मशाला पर दावा करने वालों ने इस मामले में न्यायालय से भी गुहार लगाई है। न्यायालय ने इस मामले में दोनों पक्षों को बातचीत करने का अवसर दिया है। 15 दिसंबर को मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल के साथ नित्यानंद समर्थकों की बैठक होनी है। उधर, प्रशासन ने पूरी जानकारी बोर्ड ट्रस्ट ऑफ इंडिया को भी दी है।
प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार भिखारी धर्मशाला को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। तत्कालीन जिलाधिकारी वीणा ने इस धर्मशाला को सरकार में मर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद दूसरे पक्ष का दावा है कि इस मामले में प्रशासन के खिलाफ भी आदेश हुआ है।
पत्रावलियों की होगी जांच
हालांकि अब इस मामले में पत्रावलियों की जांच कराई जा रही है। जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने बताया कि पत्रावलियों का परीक्षण कराया जा रहा है और बोर्ड ट्रस्ट ऑफ इंडिया को परीक्षण के लिए लिखा गया है। यदि यह भवन सरकार की संपत्ति है तो उसे अमल कराया जाएगा। यदि इसमें दूसरे पक्ष से भी पूछा जाएगा कि उनके दावे का आधार क्या है।
मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि है कि 15 दिसंबर को न्यायालय ने बातचीत कर इस मामले को सुलझाने के लिए कहा है।