गुजरात के राज्यपाल व हिमाचल के सीएम के आतिथ्य में आयोजन, केंद्रीय कृषि मंत्री वर्चुअल जुड़े

स्वस्थ मिट्टी, बेहतर उत्पादन व श्रेष्ठ भारत के लिए काम करें कृषि वैज्ञानिक- श्री तोमर

सोलन (हिमाचल प्रदेश)/ नई दिल्ली, देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के दो दिनी 12वें द्विवार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ आज सोलन (हिमाचल प्रदेश) में गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, हिमाचल के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर (वर्चुअल) एवं राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी के आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि हमारे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता ऐसी होना चाहिए, जो वैश्विक मानकों पर खरी उतरें। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे स्वस्थ मिट्टी, बेहतर कृषि उत्पादन और श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए काम करें।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और डॉ. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सम्मेलन में श्री तोमर ने कहा कि देश की आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया है कि यह समय पुराने संकल्प पूरे करने और नए संकल्प लेकर आगे आत्मनिर्भर भारत की तैयारी में योगदान देने का है। पुराने संकल्प के तहत देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य को काफी हद तक सफलता से प्राप्त कर लिया गया, अब केवीके को नया संकल्प लेते हुए इसे सिद्धि की ओर ले जाना है। सफलता के लिए सभी सम्मिलित प्रयास करें व खेतों की मिट्टी स्वस्थ बनाने के लिए जुट जाएं ताकि स्वस्थ खेती व श्रेष्ठ उत्पादन के माध्यम से लोगों को स्वस्थ रखा जा सकें। खेती और माटी के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए भारत को दुनिया में श्रेष्ठ बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिकों के साथ ही राज्य सरकार के अधिकारियों व अन्य प्रतिनिधियों को बड़ा योगदान देना होगा।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि केवीके व कृषि वि.वि. कृषि क्षेत्र, किसानों को मार्गदर्शन की प्रमुख संस्थाएं है। श्रेष्ठ कृषि व आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में केवीके व वि.वि. की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि क्षेत्र में काम करने वालों के लिए आज प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में सुनहरा अवसर है। जो काम किया जाना है, उसकी शुरुआत आज से ही होना चाहिए, क्योंकि काफी समय गुजर चुका है। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर की सराहना की, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती के विकल्पों को अपनाना आज समय की आवश्यकता है। धरती हमारी मां है, जिसकी रक्षा के लिए सभी को संकल्पित होना चाहिए।

राज्यपाल श्री देवव्रत ने वैज्ञानिकों से कहा कि आप राष्ट्र के भाग्यविधाता है, किसानों को नई दिशा देने वाले है, किसान के पसीने में ही भगवान के दर्शन होंगे, आपने भूखे देश को खुशहाली में बदलने का काम किया है, अब आगे भी किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती अपनाए जाने को लेकर वैज्ञानिकों की ही अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने तथ्य एवं आंकड़े बताते हुए प्राकृतिक कृषि पद्धति को बढ़ावा देने पर बल दिया।

मुख्यमंत्री श्री ठाकुर ने कहा कि अभी हमें बहुत-कुछ हासिल करना है, अभी मंजिल तक नहीं पहुंचे है। टेक्नालॉजी के माध्यम बेहतर परिणाम हासिल कर सकते हैं, जिसके लिए प्रधानमंत्रीजी का भी विशेष तौर से आग्रह रहता है। प्रधानमंत्रीजी का खेती में पानी बचाने का आग्रह भी रहता है, जिस पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि जब पानी पीने के लिए ही नहीं रहेगा, तब कैसी बड़ी चुनौती हमारे समक्ष होगी। उन्होंने स्वस्थ व्यक्ति-स्वस्थ भारत के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने का आग्रह करते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश में इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है मैंने मुख्यमंत्री बनने के बाद पहला बजट प्रस्तुत करते हुए प्राकृतिक खेती के लिए प्रावधान किया, वहीं राज्य की सभी 3615 ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक खेती पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने की योजना बनाई गई है। अभी तक लगभग पौने दो लाख रजिस्ट्रेशन भी हो चुके हैं। श्री ठाकुर ने सभी कृषि वैज्ञानिकों से फील्ड में जाकर बेहतर कार्य करने का आह्वान भी किया।

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि नई टेक्नालॉजी की खेती, वैज्ञानिकों को किसानों के खेतों तक पहुंचाना होगी। किसानों को उपज बिक्री के लिए अच्छे मार्केट से कैसे जोड़ा जाएं, यह भी देखना होगा। किसानों को रासायनिक खेती से बचना होगा, ताकि हमारी धरती माता बंजर न हो जाएं। इसके लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा, ताकि लोग भी स्वस्थ रह सकें व अस्पतालों में भीड़ न बढ़े। प्राकृतिक खेती के उत्पाद निर्यात भी ज्यादा मात्रा में हो सकेंगे। कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में जरूरी कदम उठाए है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने भी संबोधित किया। उप-महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ ए.के. सिंह स्वागत किया। कुलपति डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल ने आभार माना। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा प्रकाशनों का विमोचन किया गया। सोलन में एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है।