नई दिल्ली। खुद को न जाने क्या समझते हैं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी जो पत्रकारों का अपमान करने में नहीं चूकते। अगर राहुल गांधी से उनके मनपसंद सवाल न पूछे जाएं तो वो उल्टा पत्रकारों से ही सवाल पूछने लगते हैं। हाल ही में एक सवाल के जवाब में उन्होंने एक पत्रकार से पूछा कि क्या वो सरकार के लिए काम करते हैं? एक दूसरे सवाल के जवाब में उन्होंने एक और पत्रकार से कहा कि सरकार की दलाली करना बन्द करो।

असल में गांधी परिवार को लगता है कि जो लोग उनके दरबारी पत्रकार नहीं हैं, वो सब सरकार के दलाल हैं। राहुल गांधी के नाना, उनकी दादी, उनके पिता और फिर उनकी मम्मी की सरकार में ज्यादातर पत्रकार इस खानदान के दरबारी पत्रकार होते थे। उन्हें इनाम में अशरफियां मिलती थीं, पुरस्कार दिए जाते थे, पेट्रोल पम्प मिलते थे और मंत्रियों की लिस्ट भी उनके कहने से बनती थी। इसलिए राहुल गांधी को मुश्किल सवालों की आदत नहीं है।

अपनी बहन प्रियंका से सीखें राहुल

लेकिन आज उन्हें अपनी छोटी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा से सीखना चाहिए कि आज के जमाने में मीडिया के मुश्किल सवालों का जवाब शालीनता के साथ कैसे दिया जाता है। क्योंकि यही एक अच्छे नेता के गुण हैं। राहुल गांधी ने पत्रकारों के साथ बदसलूकी उस समय की, जब वो लखीमपुर मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों के साथ संसद भवन परिसर में पैदल मार्च निकाल रहे थे।

कांग्रेसी नेताओं पर लगे दलाली के आरोप

अक्सर जब किसी नेता के पास किसी प्रश्न का जवाब नहीं होता तो वो इसी तरह सवाल पूछने वालों पर ही सवाल उठाने लगता है और राहुल गांधी ऐसा ही कर रहे हैं। वो मीडिया को सरकार का दलाल तो बताते हैं, लेकिन ये भूल जाते हैं कि आजादी के बाद 74 वर्षों के इतिहास में नेहरू-गांधी परिवार, कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर कई बार दलाली खाने के आरोप लग चुके हैं।

एक और बात, राहुल गांधी की सबसे बड़ी शिकायत ये रहती है कि हमारे देश का मीडिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल नहीं पूछता। लेकिन अब उनके व्यवहार से ऐसा लगता है कि वो भी ऐसा ही चाहते हैं कि मीडिया उनसे कोई सवाल ना करे। जो वो कहें, उन्हें ही सच मान ले और चुप रहे।

अपने पक्ष का मीडिया चाहते हैं राहुल

वर्ष 1970 में एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था सफर इसके एक मशहूर गाने के बोल थे ‘…जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे, तुम दिन को अगर रात कहो तो रात कहेंगे…’ ये लाइनें राहुल गांधी पर आज पूरी तरह फिट बैठती हैं। क्योंकि वो यही चाहते हैं कि मीडिया उनसे केवल उनके पक्ष की ही बात करे।

अगर कोई उनसे मुश्किल सवाल पूछ लेगा तो वो उस पत्रकार को सरकार का दलाल बता देंगे और ऐसा वो पिछले दो दिन से नहीं कर रहे हैं. बल्कि उनके पिछले कई बयानों में यही देखा गया है कि जब भी कोई पत्रकार उनसे कड़वा सवाल पूछ लेता है तो वो दुर्व्यवहार करते हैं और मीडिया को सरकार का दलाल बताने लगते हैं।

आज 51 वर्षीय राहुल गांधी चाहें तो वो अपनी छोटी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा से काफी कुछ सीख सकते हैं। प्रियंका उम्र में राहुल गांधी से दो साल छोटी हैं। उनकी उम्र 49 साल है, लेकिन परिपक्वता के मामले में वो राहुल गांधी से कई साल बड़ी नजर आती हैं। मीडिया के मुश्किल सवालों और सच का सामना कैसे करना चाहिए, ये राहुल गांधी की तुलना में प्रियंका गांधी वाड्रा ज्यादा बेहतर समझती हैं।

आज जब महिलाओं के विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से 21 वर्ष करने का कानून संसद में पास हुआ तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पर पत्रकारों से बात की। इस दौरान जब उनसे कुछ मुश्किल सवाल पूछे गए तो उन्होंने राहुल गांधी की तरह पत्रकारों को सरकार का दलाल नहीं बताया. बल्कि पूरी शालीनता के साथ इन सवालों का जवाब दिया

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