राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना तालिबान से करने को लेकर शिवसेना ने भी जावेद अख्तर पर हमला बोला है। बीजेपी का अकसर विरोध करने वाली शिवसेना का इस मुद्दे पर उसे साथ मिला है, जिसने जावेद अख्तर से अपनी टिप्पणी को लेकर माफी की मांग की है। शिवसेना ने संघ और वीएचपी की तुलना तालिबान से करने को हिंदू संस्कृति का अपमान करार दिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘आज कल कुछ लोग तालिबान की किसी से भी तुलना करने लगे हैं। तालिबान समाज और मानवता के लिए बड़ा संकट है। चीन और पाकिस्तान जैसे देश उसका समर्थन कर रहे हैं, जो लोकतांत्रिक नहीं हैं। इन देशों में मानवाधिकार के लिए कोई जगह नहीं है।’

इसके आगे शिवसेना ने कहा, ‘हम एक लोकतांत्रिक देश हैं, जहां लोगों की व्यक्तिगत आजादी का सम्मान किया जाता है। लेकिन आरएसएस की तुलना तालिबान से करना गलत है। भारत हर तरह से दूसरे देशों के मुकाबले सहिष्णु है।’ सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि आरएसएस, वीएचपी जैसे संगठनों के लिए हिंदुत्व एक संस्कृति है। शिवसेना ने कहा, ‘आरएसएस और वीएचपी चाहते हैं कि हिंदुओं के अधिकारों का दमन न हो। इसके अलावा उन्होंने कभी महिलाओं के अधिकारों पर पाबंदियां नहीं लगाई हैं। अफगानिस्तान के हालात बेहद खराब और नारकीय हैं। वहां से लोग डर के मारे भाग रहे हैं और महिलाओं के अधिकारों को छीना जा रहा है।’

हालांकि अखबार ने जावेद अख्तर को एक मुखर व्यक्ति बताया है, जो मुस्लिम समाज के अतिवादियों के खिलाफ भी बोलते रहे हैं। लेकिन ताालिबान से संघ की तुलना को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारे देश में ज्यादातर लोग सेकुलर हैं और हम तालिबान की विचारधारा को स्वीकार नहीं करेंगे। हिंदुओं का बहुमत होने के बाद भी यह देश सेकुलर है।

बीते शुक्रवार को एनडीटीवी से बातचीत में जावेद अख्तर ने आरएसएस और वीएचपी की तुलना तालिबान से की थी। अख्तर ने कहा था, ‘जैसे तालिबान इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता है। वैसे ही यहां भी कुछ लोग हैं, जो हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। इन लोगों की मानसिकता एक ही है। भले ये हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या यहूदी हों। तालिबान जो कर रहा है, वह बर्बर है, लेकिन आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल का समर्थन करने वाले लोग भी वैसे ही हैं।’

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