शिवसेना सांसद संजय राऊत ने इजराइल की कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी कराने के मामले में केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने पेगासस जासूसी मामले की तुलना जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से की है। रविवार को राऊत ने पूछा कि नेताओं और पत्रकारों की जासूसी के लिए पेगासस का वित्तपोषण किसने किया? पत्रकारों से बातचीत में राऊत ने कहा कि पेगासस से जासूसी कराना सस्ता काम नहीं है। पेगासस से 300 मोबाइल फोन की जासूसी के लिए अभी तक 350 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। अगर सरकारी खजाने से पेगासस को पैसे नहीं दिए हैं फिर केंद्र सरकार ने किसी को तो पेगासस को भुगतान की जिम्मेदारी दी होगी। पेगासस को 350 करोड़ रुपए किसके खाते से दिए गए? इसकी गहराई से छानबीन करना जरूरी है।

राऊत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के साप्ताहिक स्तंभ रोखठोक में जासूसी मामले की तुलना हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से की है। उन्होंने कहा कि पेगासस का मामला हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से अलग नहीं है। जापना में परमाणु बम से लोगों की मौत हुई थी और पेगासस जासूसी से लोगों की आजादी को खत्म कर दिया गया है। वहीं मीडिया से राऊत ने कहा कि विश्व भर में जासूसी के मामले सामने आते हैं, लेकिन भारत में जासूसी कौन करा रहा है? किसको विपक्ष से डर है? इसका जबाव मिलना जरूरी है। भाजपा द्वारा पेगासस के जरिए मध्यप्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार गिराने के विपक्ष के दावे पर राऊत ने कहा कि मुझे इस बारे में नहीं मालूम। महाराष्ट्र में भी सरकार गिराने की कोशिश हुई होगी। लेकिन यदि पेगासस से सरकार गिरेगी तो लोकतंत्र को ताला लगाना पड़ेगा।

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