बॉलीवुड के अभिनय सम्राट और ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार इस दुनिया को विदा कह चुके हैं. हाल ही में 30 जून को वह मुंबई के हिंदुजा अस्पताल की ICU में भर्ती हुए थे. दिलीप कुमार के निधन से हिंदी सिनेमा की एक सदी का अंत हुआ है. उनके जाने से पूरे देश में मातम का माहौल है. लोग अपने लेजेंडरी अभिनेता को याद करके नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोहम्मद यूसुफ खान कैसे बॉलीवुड के सबसे चमकदार सितारे बन गए. आइए जानते हैं उनके यूसुफ से दिलीप बनने की कहानी…
दुनियाभर में दिलीप कुमार के नाम से शौहरत पाने वाले यूसुफ को शायद पता भी नहीं होगा कि किस्मत ने उनके लिए कितना बड़ा तख्त चुन रखा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जिनके अभिनय की मिसालें दी जाती हैं, उनकी ना तो फिल्मों में काम करने की दिलचस्पी थी और ना ही अपना नाम बदलने में. लेकिन दिलीप कुमार के पिता मुंबई में फलों का व्यापार करने आए थे. शुरुआती दिनों से ही दिलीप कुमार भी अपने पिता की मदद करते. उस दौरान वह कारोबारी मोहम्मद सरवर खान के बेटे यूसुफ सरवर खान हुआ करते थे.
दिलीप कुमार को स्क्रीन पर मौका देने वाली बॉम्बे टॉकीज की ऑनर देविका रानी थीं. जब फिल्म में मौका मिला तो रिलीज के पहले एक बार देविका ने उन्हें अपने केबिन में बुलाया था. इस मुलाकात के बारे में दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा ‘द सबस्टैंस एंड द शैडो’ में लिखा है, ‘उन्होंने अपनी शानदार अंग्रेजी में कहा- यूसुफ मैं तुम्हें जल्द से जल्द एक्टर के तौर पर लॉन्च करना चाहती हूं. ऐसे में यह विचार बुरा नहीं है कि तुम्हारा एक स्क्रीन नेम हो. ऐसा नाम जिससे दुनिया तुम्हें जानेगी और ऑडियंस तुम्हारी रोमांटिक इमेज को उससे जोड़कर देखेगी. मेरे ख़याल से दिलीप कुमार एक अच्छा नाम है. जब मैं तुम्हारे नाम के बारे में सोच रही थी तो ये नाम अचानक मेरे दिमाग में आया. तुम्हें यह नाम कैसा लग रहा है?’
उन्होंने अपनी आत्मकथा में इस वाकये को आगे बढ़ाते हुए लिखा है कि यह सुनकर उनकी बोलती बंद हो गई थी. क्योंकि वह इस तरह से अपनी पहचान बदलने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थे. इसलिए उन्होंने देविका रानी से पूछा था, ‘क्या ऐसा करना वाक़ई जरूरी है?’ इस पर देविका रानी ने दिलीप कुमार को जवाब दिया कि ऐसा करना सही फैसला होगा.