काशी के अश्वमेध स्थल दशाश्वमेध पर द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अभिषेक के साथ किया गया जनपदोध्वंस रक्षा हवन
वाराणसी। भोले की नगरी में कोरोना महामारी के शमन के लिए ब्रह्म सेना की ओर से दुर्लभ जनपदोध्वंस रक्षा अभिषेक का आयोजन किया गया। काशी के अश्वमेध स्थल दशाश्वमेध घाट पर जनपदोध्वंस रक्षा अभिषेक सोमवार को प्रदोष काल में संपादित हुआ। काशी में इस अनुष्ठान का आयोजन चार सौ वर्ष से अधिक समय बाद किया गया है। इससे पूर्व यह अनुष्ठान गोस्वामी तुलसीदास के काल में प्लेग महामारी के दौरान किया गया था।
अनुष्ठान की शुरुआत काशी के वैदिक ब्राह्मणों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में विराजमान द्वादश ज्योर्तिलिंगों का गंगा की माटी से बने पार्थिव शिवलिंग में आह्वान किया। पं.दिनेश अंबा शंकर उपाध्याय, पं.सीताराम पाठक के सयुक्त आचार्यत्व मे 12 ब्राह्मणों द्वारा संपादित इस अनुष्ठान में पार्थिव शिवलिंगों में 12 ज्योतिर्लिंगों का आह्वान किया गया। उनका अभिषेक 12 पवित्र नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती, कृष्णा, ताप्ति, नर्मदा, शिप्रा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, गोदावरी एवं अलकनंदा के जल से किया गया। आह्वहित नदियों के जल में आचार्य चरक द्वारा वर्णित 12 प्रधान औषधियों सुगंधवाला,सुगंध कोकिल,जटामांसी,नागरमोथा, कपुरकाचरी,अगर तगर,चंपावती,रूद्रवती,कमल पलास,सालम पंजा, नागकेसर एवं शिवलिंगी का मिश्रण किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच यजमानों ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों का अभिषेक किया। 3 घण्टे चले इस अभिषेक के बाद 12 मुख्य औषधियों सहित 125 औषधियों के विशेष मिश्रण से हवन की अग्नि में आहुति दी गई।
आयोजन के संयोजक संजीव रत्न मिश्रा (भानू) पं.दिनेश शंकर दूबे ने बताया कि महामारी से रक्षा के लिए इस अभिषेक में पार्थिव शिवलिंग का विशिष्ट महत्व है। शीघ्र फल प्राप्त करने की कामना से पार्थिवेश्वर शिवलिंग के पूजन का विस्तृत वर्णन शिव महापुराण में किया गया है। महामारी से रक्षा के लिए औषधीय हवन का विधान है। हवन कुंड में औषधियों के जलने से उसका प्रभाव वातावरण में दूर तक विस्तारित हो जाता है।
अनुष्ठान के समन्वयक ब्रह्म सेना के डॉ संतोष ओझा ने बताया कि आचार्य प्रवर चरक द्वारा प्रतिपादित जनपदोध्वंस रक्षा अभिषेक में कुशादक प्रक्रिया का पालन किया गया। आरंभ होने से पूर्व अनुष्ठान स्थल को सेनेटाइज किया गया। वहां उपस्थित होने वाले सभीजन मास्क धारण किए थे। इस पूरे अनुष्ठान में कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वैदिक पंचदल के सदस्य, 12 वैदिक आचार्य ही अनुष्ठान स्थल पर उपस्थित हुए।
काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी द्वारा पूजन के उपरांत अभिषेक का आरंभ हुआ। आयोजन में मुख्य रुप से लव तिवारी, मनीष शंकर दूबे, मोहित पांडेय, अजय धर दुबे, विनोद तिवारी, रत्नेश पांडेय सहित अन्य लोग ने सहयोग किया।