किसानों के लिए खुशखबरी है। खासकर दलहन के किसानों के लिए। इस सीजन सरकार दलहन के किसानों को मिनी किट बांटने जा रही है। इस कीट में दालों के बीज दिए जाएंगे। सरकार इस मद में 82 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। यह फैसला 2021-22 के खरीफ सीजन (जुलाई-जून) के लिए लिया गया है। देश में दालों की पैदावार बढ़ाई जाए, इसके लिए सरकार ने यह फैसला लिया है।

खरीफ सीजन में दालों की बुवाई दक्षिणपश्चिम मॉनसून की आमद के साथ शुरू हो जाएगी। जून महीने में इस मॉनसून के पहुंचने की संभावना है। मौसम विभाग ने कहा है कि इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा और बारिश अच्छी होगी। इस लिहाज से खरीफ सीजन में दलहनों की पैदावार अच्छी होने की संभावना है। खरीफ सीजन में तूर, मूंग और उड़द जैसी दालों की खेती होती है।

क्या कहा सरकार ने

इस बारे में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि राज्य सरकारों के साथ परामर्श कर मिनी किट बांटने की तैयारी कर ली गई है। तूर, मूंग और उड़द दालों का उत्पादन और इससे जुड़ी खेती कैसे बढ़ाई जाए, इस पर विस्तार से बात हुई है। इस रणनीति के तहत दालों की बंपर उपज वाले बीज या सेंट्रल सीड एजेंसियों के पास हैं या राज्यों के पास। इन जगहों से बीज लेकर देश के किसानों को मुफ्त में बांटा जाएगा। दो फसलों के बीच दाल की खेती बढ़ाने की दिशा में सरकार यह काम शुरू करने जा रही है।

20 लाख किसानों को मिलेगा बीज

इस साल 20,27,318 किसानों को बीज का किट बांटने का प्रस्ताव है। पिछले साल भी किट बांटे गए थे लेकिन इस बार 10 गुना ज्यादा किट देने की योजना है। इस पर लगभग 82 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस किट का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी जिसमें तूल, उड़द और मूंग दाल के बीज बांटे जाएंगे। खरीफ 2021 सीजन में 4 लाख हेक्टेयर खेत में उड़द की खेती होने का अनुमान है। 15 जून से मिनी किट बांटने का काम शुरू हो जाएगा। जिला स्तर पर बनाए गए सेंटर पर सेंट्रल एजेंसी और स्टेट एजेंसी की तरफ से ये किट पहुंचा दिए जाएंगे।

दाल का आयात

भारत में दाल की खपत बहुत है लेकिन उत्पादन कम है। इस अंतर को पाटने के लिए भारत सरकार 4 लाख टन तूर, 0.6 लाख टन मूंग और 3 लाख टन उड़द दाल का आयात करती है। किट बांटने के स्पेशल प्रोग्राम से किसान दाल की खेती के लिए प्रोत्साहित होंगे, देश में दाल का रकबा बढ़ेगा। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी। मिनी किट में इसीलिए उन्हीं दालों को शामिल किया गया है जो विदेशी से आयात की जाती हैं। अगर खेती बढ़ जाती है तो आयात का खर्च घटेगा और देश में भी इसका उत्पादन संभव हो सकेगा।

दाल की पैदावार में 65% इजाफा

हालांकि पूर्व के वर्षों को देखें तो दाल की पैदावार बढ़ी है। 2007-08 में 14.76 मिलियन टन दाल का उत्पादन हुआ था लेकिन 2020-21 में यह बढ़कर 24.42 मिलियन तक पहुंच गया। दोनों वर्षों की वृद्धि देखें तो यह 65 परसेंट के आसपास है। यह वृद्धि इसलिए हो सकी क्योंकि केंद्र सरकार ने कई मोर्चों पर राज्यों के साथ मिलकर काम किया है। दाल की खेती बढ़ाने के लिए कारगर रणनीति बनाई है। सरकार का ध्यान इसपर है कि साल दर साल दालों की खेती में नए क्षेत्र जुड़ें और खेती का रकबा बढ़े।

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