फ्रांस में बने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल का छठवां बैच भारत पहुंच गया है। इस बैच के 3 राफेल की बीती रात गुजरात के जामनगर एयरबेस पर लैंडिंग हुई। यहां से आज इन्हें हरियाणा स्थित अंबाला एयरबेस रवाना किया जाएगा। इसके साथ ही वायुसेना के बेड़े में अब राफेल विमानों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। जबकि, कुल 36 विमान भारत को मिलने हैं। इंडियन एयरफोर्स के अधिकारियों ने बताया कि, फ्रांस से उड़ान भरने के बाद बिना कहीं रुके तीनों राफेल भारत पहुंचे। रास्ते में यूएई की मदद से इनमें एयर-टु-एयर रिफ्यूलिंग कराई गई।

हासिमारा में राफेल की नई स्क्वाड्रन

36 राफेल लड़ाकू विमानों से वायुसेना के दो स्क्वाड्रन तैयार हो सकते हैं। एक स्क्वाड्रन में 18 विमान शामिल होते हैं। राफेल की पहली स्क्वाड्रन अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर है। जबकि, दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल में होगी, जहां हासिमारा एयरबेस राफेल का नया ठिकाना होगा। वायुसेना के ट्विटर हैंडिल पर बताया गया कि, राफेल के छठे बैच के विमान भी बिना रुके फ्रांस से भारत आए, इस दौरान उन्होंने 8 हजार किलोमीटर का सफर तय किया।

59,000 करोड़ में हुआ था इनका सौदा

भारत सरकार ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ 2016 में 59,000 करोड़ का सौदा किया था। जिसके बाद 5 राफेल विमानों का पहला जत्था 29 जुलाई 2020 को भारत पहुंचा था। पिछले साल इन विमानों को 10 सितंबर को अंबाला में एक कार्यक्रम में आधिकारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। अंबाला एयरबेस पाकिस्तान और चीन दोनों को काउंटर करने के लिए सबसे उपयुक्त ठिकानों में से एक है।

यहां पर लड़ाकू विमानों की तैनाती से पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से एक्शन लिया जा सकेगा। वहीं, चीन की सीमा से भी यह करीब 200 किमी की दूरी पर है।

क्या हैं राफेल फाइटर जेट की खासियतें?

फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया राफेल फाइटर जेट 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। भारत ने सिंगल सीट वाले जेट भी खरीदे हैं। यह जेट एक मिनट में 60,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है। साथ ही यह 2200 से 2500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। खास बात यह भी है कि इसमें मॉडर्न ‘मिटिअर’ मिसाइल और इजराइली सिस्टम भी है।

सुखोई-30 के मुकाबले इसलिए बेहतर राफेल

रूस निर्मित सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट की तुलना में ज्यादा एडवांस है। अभी तक सुखोई-30 को भारतीय वायुसेना की रीढ़ माना जाता है। मगर, जो राफेल आने वाला है, वो सुखोई के मुकाबले 1.5 गुना अधिक कार्यक्षमता से लैस है। राफेल की रेंज 780 से 1055 किमी प्रति घंटा है, जबकि सुखोई की 400 से 550 किमी प्रति घंटे। राफेल प्रति घंटे 5 सोर्टीज लगा सकता है, जबकि सुखोई की क्षमता 3 की है।

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