हरियाणा सरकार ने गेहूं खरीद का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है। कोरोना संकट के बावजूद रिकॉर्ड 30 दिन में ही यह काम किया गया है। सरकार ने इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 80 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदने का टारगेट रखा था। जिसमें से 79.91 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है। यह पिछले साल से 6 लाख मिट्रिक टन अधिक है। जबकि अभी 15 मई तक खरीदने की प्रक्रिया जारी रहेगी।
तीन नए कृषि कानून आने के बाद एमएसपी को लेकर कुछ किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं। उन्हें आशंका है कि सरकारी खरीद व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इस बीच कम समय में ही पहले से अधिक खरीद करके प्रदेश सरकार ने आंदोलनकारियों को जवाब दे दिया है. किसान आंदोलन की वजह से सरकार के सामने सही तरीके से गेहूं खरीद करवाने की चुनौती थी। हालांकि खरीद का लक्ष्य पूरा होने के बाद आठ जिलों की मंडियों में यह प्रक्रिया रोक दी गई है।
बीजेपी प्रवक्ता राजीव जेटली का कहना है कि कोरोना संकट के बावजूद कम समय में खरीद का लक्ष्य हासिल करके सीएम मनोहरलाल ने किसान आंदोलन का प्रोपोगेंडा करने वालों को जवाब दे दिया है। सीएम ने खरीद प्रक्रिया में कोई कोताही न बरतने के निर्देश दिए थे।
मंडियों में कितना गेहूं आया
हरियाणा में 1 अप्रैल से सरकारी खरीद जारी है। यहां की मंडियों में 30 अप्रैल तक 83.39 लाख टन गेहूं आ चुका है। अभी खरीद बंद होने में 15 दिन शेष हैं। ऐसे में कम से कम 85 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदे जाने का अनुमान है। रबी मार्केटिंग सीजन 2021-22 में 1975 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गेहूं खरीदा जा रहा है। हालांकि, खुले मार्केट में किसानों को यह दाम नहीं मिल रहा।
किसानों को मिले 9087 करोड़
गेहूं बेचने के बदले सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में 9087 करोड़ रुपये की अदायगी की जा चुकी है। पिछले साल यानी (2020-21) में यहां 74 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था। जिसके बदले किसानों को 14245 करोड़ रुपये मिले थे। ऐसे में इस साल अभी प्रदेश के किसानों को कम से कम 6 हजार करोड़ रुपये और मिलेंगे। अब तक 4,98,311 किसानों के 8,99,822 जे-फॉर्म बनाए जा चुके हैं। बिक्री के समय मंडी में यह फार्म बनता है।
क्या समय पर नहीं हो पा रहा गेहूं का उठान
व्यापारी नेता बजरंग गर्ग आरोप लगा रहे हैं कि मंडियों में गेहूं भरा हुआ है। उसका समय पर उठान नहीं हो रहा है। ऐसे में सरकार ने सभी सरकारी खरीद एजेंसियों को हिदायत जारी की है कि मंडियों में खरीदे गए गेहूं का उठान दैनिक आधार पर सुनिश्चित किया जाए। ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने में कोई कठिनाई न आए। इसके अतिरिक्त, मंडियों के निरीक्षण के लिए सरकार द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों तैनात किया गया है ताकि किसानों को परेशानी न हो।