चीन ने गुरुवार को अपने पहले स्थायी स्पेस स्टेशन के लिए मुख्य मॉड्यूल को लॉन्च किया। चीन का लक्ष्य अगले साल तक के अंत तक इस स्पेस स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा करने का है। ‘तियांहे’ (स्वर्ग महल) नामक इस मॉड्यूल को मार्च 5बी वाई2 रॉकेट के माध्यम ये दक्षिणी द्विपीय प्रांत हैनान के वेनचांग लॉन्च साइट से लॉन्च किया गया।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्पेस स्टेशन के मुख्य मॉड्यूल के सफलापूर्वक लॉन्च होने पर बधाई दी। शी ने अपने बधाई संदेश में कहा कि मुख्य मॉड्यूल का सफलतापूर्वक लॉन्च होना इस बात को दिखाता है कि चीन का स्पेश स्टेशन को तैयार करने का कार्य पूरी तरह कार्यान्वयन चरण में आ चुका है। ये आने वाले कार्यों के लिए एक ठोस आधारशिला रखता है। बीजिंग के महत्वकांक्षी स्पेस प्रोग्राम को देखते हुए मुख्य मॉड्यूल का लॉन्च होना बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यान खड़ा करने की व्यवस्था

चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी में अंतरिक्ष के उप मुख्य डिजाइनर बाई लिन्होउ ने सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ को बताया कि तियांहे मॉड्यूल स्पेस स्टेशन तियानगोंग के प्रबंधन एवं नियंत्रण केंद्र के रूप में काम करेगा। इसमें एक साथ तीन अंतरिक्ष यान खड़ा करने की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि तियांहे मॉड्यूल की लंबाई 16.6 मीटर, व्यास 4.2 मीटर और वजन 22.5 टन है और यह चीन द्वारा विकसित सबसे विशाल अंतरिक्ष यान है।

पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होगा स्पेस स्टेशन

बाई लिन्होउ ने बताया कि स्पेस स्टेशन का आकार अंग्रेजी के वर्ण ‘टी’ की तरह होगा, जिसके मध्य में मुख्य मॉड्यूल होगा। वहीं दोनों ओर प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कैप्सूल होंगे। प्रत्येक मॉड्यूल का वजन 20 टन होगा और जब स्पेस स्टेशन पर, अंतरिक्ष यात्री और सामान लेकर यान पहुंचेंगे तो इसका वजन 100 टन तक पहुंच सकता हैं। इस अंतरिक्ष केंद्र को पृथ्वी की निचली कक्षा में 340 से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है और यह 10 साल तक काम करेगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि उचित देखरेख और मरम्मत से यह 15 साल तक काम कर सकता है।

स्पेस प्रोग्राम में बड़ी मात्रा में पैसा लगा रहा चीन

चीन के स्पेस प्रोग्राम पर नजर रखने वाले चेन लान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि ये प्रोजेक्ट एक बहुत बड़ी डील है। उन्होंने कहा कि ये चीन के लिए सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग परियोजना होगी, इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। चीन ने हाल के सालों में अपनी अंतरिक्ष महत्वकांक्षाओं को दुनिया से सामने रखा है। बीजिंग ने अपने स्पेस प्रोग्राम में बड़ी मात्रा में फंडिंग की है और 2019 में इसने चंद्रमा के सूदूर हिस्से में एक रोवर भी भेजा था।

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