देश में कोरोना वायरस की स्थिति पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन की पीएम मोदी को लिखी गई चिट्ठी का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी में बैठे जिम्मेदार लोग ही आपके विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में इस बात पर जोर दिया कि महामारी से मुकाबले के लिए वैक्सीनेशन को बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा। केवल कुल संख्या को नहीं देखना चाहिए बल्कि कितने प्रतिशत आबादी को टीका लग चुका है, इसे देखा जाना चाहिए।

मनमोहन सिंह के इस पत्र के जवाब में डॉ हर्षवर्धन ने लिखा, “डॉ सिंह, (मनमोहन सिंह) यह दुखद है कि कोविड-19 से लड़ाई के खिलाफ वैक्सीनेशन के महत्व को आप काफी समझते हैं, लेकिन आपकी पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठ लोगों के साथ कांग्रेस शासित राज्य सरकार आपके विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।” उन्होंने कहा कि क्या यह गर्व की बात नहीं होनी चाहिए कि भारत एकमात्र विकासशील देश हैं जहां दो वैक्सीन के जरिए टीकाकरण किया जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे लिखा, “यह आश्चर्यजनक है कि कांग्रेस पार्टी के सीनियर सदस्यों ने हमारे वैज्ञानिक समुदाय और वैक्सीन मैन्युफैक्चर्रस के धन्यवाद के लिए अब तक एक शब्द भी नहीं कहा है। कई कांग्रेस सदस्यों ने और कांग्रेस शासित राज्य सरकारों ने इन वैक्सीन की क्षमता को लेकर झूठी बातें फैलाई, जिससे लोगों में वैक्सीन को लेकर डर पैदा हुआ। आपकी पार्टी के एक मौजूदा मुख्यमंत्री ने स्वदेशी वैक्सीन के खिलाफ सीधे लोगों को भड़काकर, सरकार का प्रमुख होने के नाते एक तरह का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया।”

उन्होंने कहा कि कुछ कांग्रेस नेताओं ने सार्वजनिक रूप से वैक्सीन की आलोचना की और चुपके से अपनी डोज भी लगवा ली। उन्होंने कहा, “आपकी पार्टी के नेताओं द्वारा गैरजिम्मेदाराना बयानों के कारण कांग्रेस शासित राज्यों में सीनियर सिटीजन और फ्रंटलाइन वर्कर्स के राष्ट्रीय वैक्सीनेशन औसत में कमी आई। यह भी नोट करने वाली बात है कि इन्हीं राज्यों में कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मामले बढ़ रहे हैं। इन राज्यों में पॉजिटिविटी रेट सबसे ज्यादा हैं और वे आपके सलाह और ज्ञान से कुछ लाभ ले सकते हैं।”

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे लिखा, “ऐसा लगता है जिन्होंने आपका पत्र तैयार किया, उन्होंने आपको सही जानकारी नहीं दी। जैसे कि आपने 18 अप्रैल को दूसरे देशों से वैक्सीन आयात के लिए मंजूरी देने की मांग की, लेकिन सरकार ने ये फैसला एक सप्ताह पहले 11 अप्रैल को ही ले लिया है। ऐसा ही वैक्सीन उत्पादन के लिए फंड और अन्य छूट के आपके सुझावों के साथ भी है। इस पर आपके पत्र से कई दिन पहले फैसला लिया जा चुका है और कई वैक्सीन निर्माताओं को सरकार की तरफ से मदद दी गई है ताकि तेजी से वैक्सीन का उत्पादन बढ़े।”

डॉ हर्षवर्धन ने मनमोहन सिंह को लिखा, “खैर, इन तथ्यात्मक गलतियों के बावजूद, हम देश के लिए आपकी चिंताओं को समझते हैं और आपको आश्वासन देते हैं हम भी इसी तरह चिंतित हैं। इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में हम आपके लगातार सहयोग का अनुरोध करते हैं और आपके ऐसे शानदार सुझावों का स्वागत करते हैं. हालांकि, हम उम्मीद है कि एक सीनियर नेता होने के नाते आप अपनी पार्टी के नेताओं को भी ऐसी सलाह और जानकारी देंगे। मैं आपके और आपके परिवार के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।”

मनमोहन सिंह ने कल पत्र लिखकर दिए थे कई सुझाव

मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने पत्र में लिखा था, ‘‘कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में टीकाकरण बढ़ाने के प्रयास अहम होने चाहिए। हमें यह देखने में दिलचस्पी नहीं रखनी चाहिए कि कितने लोगों को टीका लग चुका है, बल्कि आबादी के कितने प्रतिशत का टीकाकरण हो चुका है, यह महत्वपूर्ण है। भारत में अभी केवल आबादी के छोटे से हिस्से का ही टीकाकरण हुआ है। सही नीति के साथ हम इस दिशा में बेहतर तरीके से और बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं।’’

उन्होंने पत्र में लिखा था, ‘‘राज्यों को टीकाकरण के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी तय करने में कुछ ढील मिलनी चाहिए, जिससे वे 45 साल से कम उम्र के लोगों को भी वैक्सीनेशन का पात्र बना सकें। कुछ राज्य स्कूल शिक्षकों, बस, तिपहिया और टैक्सी चालकों, नगर निगम तथा पंचायत कर्मियों और अदालतों में जाने वाले वकीलों को फ्रंटलाइन पर काम करने वाले वर्कर्स की श्रेणी में सूचीबद्ध करना चाहते हैं और ऐसे में उनकी उम्र 45 साल से कम होने पर भी टीका लगाया जा सकता है।”

मनमोहन सिंह ने कहा था कि केंद्र सरकार को अगले 6 महीने के वैक्सीन के ऑर्डर और आपूर्ति के बारे में जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम इस अवधि में एक टारगेट संख्या का टीकाकरण चाहते हैं तो हमें पहले ही पर्याप्त ऑर्डर देने होंगे ताकि उत्पादक आपूर्ति के तय कार्यक्रम के अनुसार काम कर सकें। सरकार को बताना चाहिए कि टीकों की यह अपेक्षित आपूर्ति एक पारदर्शी फॉर्मूले के आधार पर राज्यों में कैसे वितरित की जाएगी।’’

सिंह ने कहा कि घरेलू आपूर्तियां सीमित किए जाने को लेकर ऐसे किसी टीके को घरेलू परीक्षणों पर जोर दिए बिना आयात करने की अनुमति होनी चाहिए जिन्हें यूरोपीय मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए जैसे किसी प्रामाणिक प्राधिकार ने इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अभूतपूर्व आपात स्थिति से गुजर रहे हैं और मैं समझता हूं कि विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की ढील आपात स्थिति में उचित है। मुझे उम्मीद है कि सरकार इन सुझावों को तत्काल स्वीकार करेगी और फौरन कार्रवाई करेगी।’’

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