नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में 121 दिन से आंदोलन कर रहे किसानों ने आंदोलन के चार महीने पूरे होने के मौके पर शुक्रवार को भारत बंद किया। देश के कई राज्यों में बंद का व्यापक असर देखने को मिला तो कुछ राज्यों में इसका आंशिक असर हुआ। पंजाब, हरियाणा के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कई हिस्सों में बंद का व्यापक असर दिखा। कई जगह किसानों ने रेल रोके और सड़क जाम की। कई राज्यों में किसानों के समर्थन में बाजार भी बंद रहे। बिहार विधानसभा में विधायकों की पिटाई के विरोध में विपक्षी पार्टी राजद ने शुक्रवार को ही बिहार बंद का ऐलान किया था। विपक्ष के बिहार बंद और किसानों के भारत बंद के मिले-जुले असर में बिहार में बंद प्रभारी रहा।

किसानों के भारत बंद का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में दिखा। दोनों राज्यों में कई जगहों पर किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य प्रमुख सड़कों को रोक दिया। कई जगहों पर रेल पटरियों को भी बाधित किया गया, जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित हुआ। गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को दिन में बताया- दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर आज सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक भारत बंद का आयोजन किया गया है।

किसानों की अपील पर पंजाब के कई जगहों पर दुकानें बंद रहीं। भारत बंद के समर्थन में हरियाणा में भी अनेक जगहों पर दुकानें बंद रहीं। पंजाब में सार्वजनिक और निजी परिवहन सड़कों से नदारद रहा। हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा हरियाणा रोडवेज बस सेवाएं उन जिलों में निलंबित रहेंगी जहां लगता है कि किसानों के विरोध को देखते हुए उन्हें संचालित करना स्थिति के अनुकूल नहीं है।पंजाब और हरियाणा में किसान सुबह से ही बठिंडा, लुधियाना, अमृतसर, पटियाला, मोहाली, रोहतक, फिरोजपुर, पठानकोट, झज्जर, जींद, पंचकुला, कैथल, यमुनानगर और भिवानी सहित कई जगहों पर राजमार्ग को रोक दिया और रेल लाइन पर बैठ कर ट्रेन सेवाएं बाधित कीं। इससे पहले किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने शुक्रवार को एक वीडियो संदेश में, प्रदर्शनकारी किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे आपातकालीन सेवाओं या अति आवश्यक सेवाओं वाली गाड़ियों और निजी गाड़ियों में यात्रा करने वाले बीमार लोगों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करें। चढूनी ने कहा- हमें शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करना चाहिए। दोनों राज्यों में रेल सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुईं।

गौरतलब है कि किसान पिछले चार महीने से आंदोलन कर रहे हैं और 22 जनवरी के बाद से केंद्र सरकार से उनकी बातचीत बंद है। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार कह चुके हैं कि सरकार किसानों से वार्ता करने को तैयार है लेकिन वार्ता शुरू नहीं हुई है। किसान तीनों केंद्रीय कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी करने की मांग कर रहे हैं। बहरहाल, किसानों के बंद का और भी कई राज्यों में थोड़ा या ज्यादा असर दिखा। दक्षिण के राज्यों में कर्नाटक में बंद का मिला-जुला असर दिखा। कई जगह किसानों ने इकट्ठा होकर सड़क जाम किया। कारोबारी संगठन कैट ने भारत बंद में शामिल नहीं होने की घोषणा की थी, जिसकी वजह से ज्यादातर जगहों पर बाजार खुले रहे। राजधानी दिल्ली में मेट्रो और डीटीसी की बसों की आवाजाही पर कोई असर नहीं हुआ।

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