एजेंसी,नई दिल्ली ।
 जर्मनी की एयरलाइन लुफ्थांसा ने भारत में रखे गए 103 उड़ान परिचारकों को नौकरी की गारंटी मांगने पर सेवा से निकाल दिया है। कंपनी ने उन्हें दो साल तक बिना वेतन के अवकाश पर जाने का विकल्प दिया था। मामले से जुड़े सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि ये कर्मचारी एयरलाइन के साथ एक निश्चित अनुबंध पर काम कर रहे थे और इनमें से कुछ 15 साल से अधिक समय से कंपनी के साथ थे।

सेवा विस्तार नहीं दे सकती कंपनी

 लुफ्थांसा के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के गंभीर वित्तीय प्रभाव के चलते एयरलाइन के लिए पुनर्गठन के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है। कंपनी दिल्ली स्थित उन उड़ान परिचारकों को सेवा विस्तार नहीं दे सकती है, जो तय अवधि के अनुबंध पर हैं। हालांकि प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि कितने कर्मचारियों को काम से निकाला गया है।

पुनर्गठन के अलावा कोई विकल्प नहीं

प्रवक्ता के अनुसार, कई सारे कर्मचारियों की सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि कंपनी उनके साथ अलग-अलग समझौते कर पाने में सफल रही है।  बयान में कहा गया, ”लुफ्थांसा को यह पुष्टि करते हुए दुख हो रहा है कि वह दिल्ली स्थित उन उड़ान परिचारकों की सेवाओं को विस्तार नहीं दे रही है, जो तय अवधि के लिए नौकरी पर रखे गये थे। कोरोना वायरस महामारी के गंभीर वित्तीय प्रभाव ने लुफ्थांसा के समक्ष एयरलाइन के पुनर्गठन के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। इन उपायों में भारत जैसे अहम अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ साथ जर्मनी और यूरोप में भी कर्मचारियों से संबंधित किए गए उपाय शामिल हैं।

विमानों की संख्या में 150 की कटौती होगी

 कंपनी ने कहा कि उसने मौजूदा स्थिति को देखते हुए 2025 तक की दीर्घकालिक योजनाओं में विमानों की संख्या में 150 की कटौती करनी होगी। इससे केबिन क्रू के कर्मियों की संख्या पर भी असर होगा। इन सबके अतिरिक्त विभिन्न देशों की सरकारों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर लगायी गयी पाबंदियों से केबिन क्रू के कर्मचारियों के पास खास काम नहीं बचा है।

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