कासगंज । बिकरू की तरह कासगंज में मंगलवार की रात दबिश देने गई पुलिस टीम पर शराब माफिया ने हमला कर दिया। हमले में सिपाही शहीद हो गया और दरोगा की हालत गंभीर बनी हुई है। घटना की जानकारी मिलते ही हड़कंप मच गया। अलीगढ़ से आला अधिकारी घटनास्थल की ओर रवाना कर दिये गए। सीएम योगी ने भी घटना पर नाराजगी जताते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया। सीएम योगी ने शहीद सिपाही के परिजनों को 50 लाख और आश्रित को नौकरी की भी घोषणा की है। हमलावरों की तलाश में पुलिस की कई टीमें इलाके में छापेमारी कर रही हैं।
बताया जाता है कि मंगलवार की देर शाम कासगंज के सिढ़पुरा थाने से दरोगा अशोक पाल, सिपाही देवेंद्र सिंह को अवैध शराब की खेप की सूचना मिली थी। दरोगा सिपाही दबिश देने पहुंचे तो शराब माफिया ने दोनों पर हमला कर दिया। दोनों को बंधक बनाकर पीटा गया। उनकी वर्दी फाड़ दी गई। असलहा भी छीन लिया गया। दरोगा को रास्ते में फेंककर सिपाही को हमलावर अपने साथ लेकर चले गए।
दरोगा को लहूलुहान हालत में देखकर एक ग्रामीण ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद पहुंची फोर्स ने उन्हें गाड़ी से उपचार के लिए दरोगा को जिला अस्पताल भिजवाया। सिपाही की तलाश शुरू की गई। एसपी मनोज कुमार सोनकर ने कई थानों की पुलिस को जंगल में सिपाही की तलाश में लगाया। करीब एक घंटे की तलाश के दौरान काफी दूर जंगल में गंभीर हालत में सिपाही देवेंद्र सिंह पड़ा मिला। हमलावरों ने उसकी भी हालत दरोगा अशोक पाल जैसी ही कर दी थी।
सिपाही देवेंद्र सिंह को भी उपचार के लिए जिला अस्पताल भेजा गया। जहां से बेहतर उपचार के लिए अलीगढ़ रेफर किया गया। रास्ते में उसकी मौत हो गई। जानकारी मिलते ही एडीजी अजय आनंद, डीआईजी पीयूष मोर्डिया और डीएम चन्द्रप्रकाश सिंह पहुंच गए। आईजी पीयूष मोर्डिया ने बताया कि पुलिसकर्मी जहरीली शराब के मामले में कुर्की पूर्व नोटिस चस्पा करने गए थे। वहां दोनों को बंधक बना लिया। मौके से शराब की भट्टी का सामान बिखरा पड़ा मिला है।
दोषियों पर लगेगा रासुका, शहीद सिपाही के परिजनों को 50 लाख
कासगंज घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। सीएम योगी ने घटना पर कड़ी नाराजगी जताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। उन्होंने गुनाहगारों पर रासुका के तहत कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने शहीद पुलिसकर्मी के परिवार के प्रति गहरी संवेदना जताते हुए 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और आश्रित को सरकारी नौकरी देने के निर्देश दिए हैं।
जहरीली शराब के मामले में दरोगा और सिपाही समन तामील कराने गए थे। वहीं पर शराब माफिया ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। इसमें हमारे सिपाही देवेंद्र सिंह शहीद हो गए। दरोगा गंभीर रूप से घायल हैं। उनका जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। हमलावरों की तलाश की जा रही है। दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
- अजय आनंद, एडीजी आगरा
कानपुर के बिकरू कांड की यादें ताजा
कासगंज में हुई वारदात ने कानपुर के बिकरू कांड की यादें ताजा कर दी हैं। बिकरू में माफिया विकास दुबे के यहां दबिश देने गई पुलिस पर हमला कर दिया गया था। इसमें एक सीओ समेत कई पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। यहां शराब माफिया ने वर्दी में पहुंची पुलिस पर न सिर्फ हमला किया बल्कि उन्हें अगवा कर अपने साथ ले गए और रास्ते में लहूलुहान हालत में फेंक दिया।
आगरा के नगला बिंदू के निवासी थे सिपाही देवेंद्र
कासगंज में शराब माफिया के हमले में शहीद सिपाही देवेंद्र जसावत आगरा में डौकी थाना क्षेत्र के गांव नगला बिंदू के निवासी थे। उनके शहीद होने की खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए। सिपाही के परिजनों को संभाला। पिता रात में ही रिश्तेदार के साथ कासगंज रवाना हो गए। गांव में हर कोई यही बोल रहा था कि बहुत बुरा हुआ।
देवेंद्र जसावत के पिता महावीर सिंह किसान हैं। देवेंद्र अपने पिता के इकलौते बेटे थे। एक छोटी बहन है प्रीति। मई में उसकी शादी है। ग्रामीणों ने बताया कि शमसाबाद थाना क्षेत्र का एक युवक कासगंज में सिपाही है। वह देवेंद्र का दोस्त है। उसने ही उनके साथ हुई घटना की जानकारी गांव में फोन पर दी थी। जैसे ही देवेंद्र के परिजनों को घटना की जानकारी हुई घर में कोहराम मच गया। आनन-फानन में रिश्तेदार और गांव के कुछ लोगों ने महावीर सिंह को साथ लिया और कासगंज के लिए रवाना हो गए। ग्रामीणों ने बताया कि देवेंद्र विवाहित थे। वर्ष 2016 में शादी हुई थी। पत्नी का नाम चंचल है। पति की मौत की खबर से पत्नी को गहरा धक्का लगा है। उनकी हालत किसी से देखी नहीं जा रही है। दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी वैष्णवी तीन साल की है। छोटी बेटी महज चार माह की है।
एक साथ भर्ती हुए थे चार युवक
नगला बिंदू गांव के चार युवक वर्ष 2015 में एक साथ पुलिस में भर्ती हुए थे। देवेंद्र जब भी छुट्टी पर आते गांव के नौजवान उन्हें घेर लिया करते थे। यह पूछते थे कि उन्होंने तैयारी कैसे की थी। देवेंद्र के साथ मनीष, नीरज और यशपाल भी पुलिस में भर्ती हुए थे। सभी ने एक साथ तैयारी की थी। सुबह साथ दौड़ने आया करते थे। गांव वालों ने बताया कि देवेंद्र जब भी गांव में आते अपने से बड़ों के पैर छुआ करते थे। उन्हें इस बात का कोई घमंड नहीं था कि वह पुलिस में है। वह युवाओं से यही कहते कि रौब गांठने के लिए वर्दी नहीं पहनी है। पीड़ितों के काम आ सकें इसलिए वर्दी पहनी है। देवेंद्र को ऐसी जगह तैनाती पसंद नहीं थी जहां वसूली के आरोप लगें। वह अपनी नौकरी पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ किया करते थे। गांव वालों ने बताया कि बहुत ही सरल और मिलनवार स्वभाव के थे।