नई दिल्ली। दिल्ली एक बार फिर से हिंसा की आग में झुलस गई। 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान जमकर बवाल हुआ और इस हिंसा में 86 पुलिसकर्मी समेत 100 से अधिक लोग घायल हो गए। साथ ही स्टंट के दौरान एक प्रदर्शनकारी की भी मौत हुई। हालांकि, अब इस मामले में दिल्ली पुलिस ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है और अब तक 22 एफआईआर दर्ज हो गई हैं, मगर यहां अब भी बड़ा सवाल है कि आखिर इस हिंसा की आग को भड़काने वाले लोग कौन हैं?
आंदोलन से जुड़े किसान यूनियनों के नेताओं ने दिल्ली में बवाल और हिंसा से खुद को किनारा कर लिया है। दिल्ली में हिंसा फैलाने और किसानों को भड़काने के लिए कई किसान नेता पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू को जिम्मेदार मान रहे हैं। एक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता दीप सिद्धू पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारियों को भड़काने और बवाल के लिए उकसाने के आरोप लग रहे हैं। दिल्ली में लाल किले पर ‘निशान साहिब’ फहराने के बाद सिद्धू का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘हमने सिर्फ लालकिले पर निशान साहिब फहराया है जो कि हमारा लोकतांत्रिक हक है। वहां पर तिरंगा नहीं हटाया गया था।’ कई किसान नेताओं का मानना है कि दीप सिद्धू के उकसाने पर ही प्रदर्शनकारी लाल किले की परिसर में दाखिल हुए थे।
दीप सिद्धू पर लग रहे गंभीर आरोप
खुद स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने भी दीप सिद्धू पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया है। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं में से एक योगेंद्र यादव ने कहा कि हमने दीप सिद्धू को शुरू से ही अपने प्रदर्शन से दूर कर दिया था। इंडिया टूडे से बातचीत में योगेंद्र यादव ने एक और शख्स पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया, जिनका नाम है- लक्खा सिधाना। योगेंद्र यादव ने टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि दीप सिद्धू और गैंग्स्टर से नेता बने लक्खा सिंह सिधाना ने किसानों को भड़काया और उन्हें गुमराह किया।
वहीं, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दीप सिद्धू और अन्य लोगों ने 25 जनवरी को ही संयुक्त किसान मोर्चा और दिल्ली पुलिस के बीच रूटों को लेकर बनी सहमति को मानने से इनकार कर दिया था और स्टेज से किसानों को भड़का रहे थे। इतना ही नहीं, जब लाल किला पर झंडा फहराया गया, तब भी वहां दीप सिद्धू मौजूद थे। दीप ने प्रदर्शनकारियों के कृत्य का यह कह कर बचाव किया कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया और केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर ‘निशान साहिब’ को लगाया था। ‘निशान साहिब’ सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है। सिद्दू ने दावा किया कि वह कोई योजनाबद्ध कदम नहीं था और उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है।
लक्खा की भूमिका भी संदिग्ध
इधर, दीप सिद्धू के अलावा, बाहुबली लक्खा सिंह सिधाना की संलिप्तता भी सामने आई है। सेंट्रल दिल्ली में बवाल का आरोप लक्खा और उनके साथियों पर लग रहा है। लक्खा पर पंजाब में हत्या, लूट और अपहरण समेत कई मामले दर्ज हैं। लक्खा किसान आंदोलन में बतौर सामाजिक कार्यकर्ता शामिल है। कुछ लोगों का कहना है कि सामाजिक कार्यकर्ता बन लक्खा अपनी आपराधिक छवि बदलने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल, दिल्ली पुलिस ने 22 मामले दर्ज किए हैं, मगर अब तक किसी की गिरफ्तारी को लेकर कोई सूचना नहीं है।
राकेश टिकैत के वीडियो से उग्र हुए किसान?
सोशल मीडिया पर कुछ लोग किसान नेता राकेश टिकैत पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। दिल्ली में मंगलवार (26 जनवरी) को ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने जमकर उत्पात मचाया, मगर राकेश टिकैत ने इससे अपना पल्ला पूरी तरह से झाड़ लिया। बीकेयू के नेता राकेश टिकैत का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो किसानों को हंगामे और बवाल के लिए उकसाते दिख रहे हैं। इस वीडियो में राकेश टिकैत को कहते हुए सुना जा सकता है कि अपना झंडा भी ले आना और लाठी भी साथ रखना। अब बस आ जाओ, अब जमीन नहीं बचने वाली। जमीन बचाने आ जाओ। लोगों का कहना है कि राकेश टिकैत के इस वीडियो के बाद से प्रदर्शनकारी और उग्र हो गए। हालांकि, इस वीडियो पर मचे बवाल पर राकेश टिकैत ने सफाई भी दी है और कहा कि हमने उन्हें झंडा में लगाने के लिए अपना डंडा लाने को कहा था।