नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित विशेषज्ञ समिति ने गुरुवार को बैठक की। इस दौरान समिति ने उत्तर प्रदेश समेत आठ राज्यों के 10 किसान संगठनों के साथ बातचीत से उनकी राय जानने की कोशिश की। समिति ने अपने बयान में कहा है कि किसान संगठनों के साथ बातचीत वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई।
समिति ने बताया कि इस मसले पर कई अन्य संघों के साथ भी बातचीत हुई। जिन किसान संगठनों से बात हुई उनमें कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के संगठन शामिल हैं। इस बातचीत में किसान संगठनों ने बेबाकी के साथ अपनी राय दी। किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों में सुधारों के लिए अपने सुझाव भी दिए। मालूम हो कि समिति में चार सदस्य थे लेकिन किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने बीते दिनों अपना इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद अब इसमें तीन सदस्य रह गए हैं।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बीते 11 जनवरी को तीनों कृषि कानूनों के अमल यानी कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी। कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के गतिरोध को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसी दिन समिति का गठन किया था। समिति को किसान संगठनों और केंद्र के बीच जारी गतिरोध का हल तलाशना है। इस समिति में अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, प्रमोद कुमार जोशी और शेतकारी संगठन के नेता अनिल घनवट शामिल हैं। इससे पहले मंगलवार को कमेटी की पहली बैठक हुई थी।
किसान संगठन इस समिति का भी विरोध कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि इसके सदस्य पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बीते बुधवार को हुई सुनवाई में कमेटी में बदलाव की मांग को खारिज कर चुका है। शीर्ष अदालत का कहना था कि समिति के ऊपर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि यह कमेटी बनी रहेगी और निश्चित समय पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। शीर्ष अदालत के मुताबिक, यह समिति केवल किसान संगठनों की शिकायतें सुनेगी और केवल रिपोर्ट देगी… फैसला नहीं।