बीजिंग (एजेसी)। भारत समेत अपने पड़ोसी देशों के साथ चीन की चालबाजी किसी से छिपी हुई नहीं है। इस वजह से ड्रैगन को कई देशों से फटकार भी मिल चुकी है। पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना से बुरी तरह से मात खाने के बाद अब चीन भारत के खिलाफ एक और साजिश रचने में लग गया है। दरअसल, हिंद महासागर में चीन ने अंडर वॉटर ड्रोन्स का बेड़ा तैनात किया है। ये महीनों तक काम कर सकते हैं और नौसेना को खुफिया जानकारी पहुंचा सकते हैं। इन वॉटर ड्रोन्स का नाम सी विंग (हेयी) ग्लाइडर है। रक्षा विश्लेषक एचई सटन ने यह दावा किया है।
प्रतिष्ठित फोर्ब्स मैगजीन के लिए लिखते हुए सटन ने कहा कि ये समुद्री ग्लाइडर्स, जिसे चीनी ‘एन मस्से’ को तैनात कर रहे हैं, एक प्रकार का अनक्रीडेड अंडरवॉटर व्हीकल (यूयूवी) है। इसने फरवरी तक 3,400 से अधिक ऑब्सर्वेशन किए थे।
सरकारी सत्रों का हवाला देते हुए सटन ने कहा कि ये ग्लाइडर्स ठीक उसी तरह के हैं, जिसे अमेरिकी नेवी ने तैनात किया था और साल 2016 में बीजिंग द्वारा सीज कर लिया गया था। सटन ने लिखा, “यह काफी आश्चर्य की बात है कि चीन अब हिंद महासागर में इस प्रकार के यूयूवी एन मास्क को तैनात कर रहा है। चीन ने आर्कटिक में एक आइस ब्रेकर में भी सी विंग को तैनात किया है।” डिफेंस एक्सपर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर की रिपोर्ट से पता चलता है कि हिंद महासागर के मिशन में 14 को तैनात किया गया था, लेकिन सिर्फ 12 का ही इस्तेमाल किया जा सका।
सटन ने कहा कि इन ग्लाइडर्स में बड़े-बड़े विंग्स हैं, जिससे लंबे समय तक चल सकते हैं। हालांकि, ग्लाइडर्स तेज या फिर चुस्त नहीं हैं, लेकिन लंबी दूरी के मिशन के लिए तैनात हैं। डिफेंस एनालिस्ट ने आगे कहा कि ये चाइनीज ग्लाइडर्स ओशियनग्राफी डेटा को इकट्ठे कर रहे हैं। इनका इस्तेमाल नौसेना के लिए खुफिया जानकारी देने में होता है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि दुनिया हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में रणनीतिक ठिकानों को देख रही है। उन्होंने कहा था, ”हिंद महासागर में अभी क्षेत्र से इतर देशों के बलों के 120 से अधिक जंगी जहाज तैनात हैं तथा क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक रुचि के मद्देनजर आने वाले समय में वहां सामरिक अड्डों के लिए होड़ और अधिक बढ़ने वाली है।”
जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि हाल के वर्षों में चीन की अर्थव्यवस्था और सेना का आकार बढ़ने के साथ-साथ क्षेत्र में उसका प्रभाव भी बढ़ा है, जिसने काफी ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत जैसे समूहों और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के साथ भारत को अपने संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर देना होगा, ताकि वह अपने रणनीतिक हितों को पूरा कर सके।